उत्तराखंड

23 साल बाद सवाल उठा कि आखिर गई कहां

Admin4
7 July 2022 1:01 PM GMT
23 साल बाद सवाल उठा कि आखिर गई कहां
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बैलेस्टिक जाँच के लिए आगरा गई रिवॉल्वर की बरामदगी के लिए 23 साल बाद अब देहरादून के नेहरू कालोनी थाने में मुकदमा दर्ज हुआ है. दरअसल, साल 1993 में एक मुठभेड़ के दौरान बरामद रिवॉल्वर को पुलिस लाइन के आर्म्स स्टोर में रखा गया था. 1999 में 789156 नंबर वाली रिवॉल्वर को जांच के लिए आगरा स्थित फॉरेंसिक साइन्स लेबोरेट्री भेजा गया. हैरत की बात यह है कि अभी तक यह रिवॉल्वर देहरादून वापस नहीं पहुंची. अब इस केस में जांच पड़ताल शुरू हुई है कि वह रिवॉल्वर आखिर है कहां!

रिवॉल्वर न तो आगरा लैब में मिली और न ही देहरादून में. अब पुलिस लाइन के आरआई जगदीश चंद्र पंत की तहरीर पर मुकदमा दर्ज हुआ है. पंत ने अपनी शिकायत में बताया कि 1993 में मुठभेड़ को लेकर धारा 307 के तहत थाना पटेलनगर में मुकदमा था. मुकदमे में .38 रिवॉल्वर भी बरामद की गई थी. आर्म्स स्टोर में रखी इस रिवॉल्वर को 1999 में बैलेस्टिक जांच के लिए दारोगा जसवीर सिंह के साथ आगरा लैब भेजा गया था, लेकिन तबसे आज तक इस रिवॉल्वर का कोई पता नहीं है.

क्यों 23 साल बाद दर्ज हुआ केस?

पंत के मुताबिक 16 नवंबर 1999 से गायब रिवॉल्वर की खोजबीन 2020 में शुरू की गई थी. इससे पहले 2005 में पुलिस जीडी और अन्य रिकॉर्ड को निपटाया जा चुका था, लेकिन उस दौरान रिवॉल्वर का निस्तारण नहीं हुआ था. दून पुलिस ने मार्च 2020 में आगरा लैब को पत्र भेजा था तो लैब ने रिकॉर्ड न होने की जानकारी दी. कुल मिलाकर पुलिस ने अपनी लापरवाही छिपाने के लिए 23 साल तक इस मामले को दबाए रखा.

दारोगा ने कहा, उसे याद नहीं

इसके बाद यूपी पुलिस से रिकॉर्ड लेकर दारोगा जसवीर सिंह की तलाश की गई तो पता चला कि वह साल 2000 में रिटायर हो चुके. बुलंदशहर ज़िले में सिंह के गांव पुलिस पहुंची, तो पता चला कि उम्र ज़्यादा होने के कारण सिंह की याददाश्त कमजोर हो गई है और इस बारे में वह कुछ बता नहीं पाए. हैरानी की बात यह भी है कि जसवीर सिंह रिवॉल्वर लेकर जब रवाना हुए थे, तो पुलिस रिकॉर्ड में यह दर्ज हुआ होगा, लेकिन अब जीडी तलाशी गई तो वह रिकॉर्ड भी नष्ट पाया गया.

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