प्रदेश में साहसिक पर्यटन के तौर पर पैराग्लाइडिंग की अपार संभावनाएं हैं लेकिन राज्य गठन के 21 साल बाद भी प्रदेश में पैराग्लाइडिंग के लिए एक्ट बनने के बाद भी सुरक्षा मानकों की अनदेखी हो रही है। सुरक्षा मानकों की अनदेखी पर्यटकों की जान पर भारी पड़ सकती है।
पर्वतीय क्षेत्र में पैराग्लाइडिंग की अपार संभावनाएं हैं। पहाड़ में घूमने आने वाले पर्यटकों के लिए पैराग्लाइडिंग एक आकर्षण का केंद्र रहता है। पैराग्लाइडिंग पहाड़ की आर्थिकी का मजबूत आधार भी हो सकता है। लेकिन सरकार ने वर्ष 2018 में रेग्यूलेशन एक्ट बना दिया था। पर्यटन विभाग के पास एक्ट के तहत सुरक्षित पैराग्लाइडिंग कराने के लिए रेग्यूलेशन अथॉरिटी नहीं है। जिस कारण मनमाने तरीकों से पैराग्लाइडिंग कर पर्यटकों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। ऐसे में पर्यटकों के साथ कभी भी हादसा हो सकता है।
नौकुचियाताल में होती है पैराग्लाइडिंग
हल्द्वानी। नैनीताल व भीमताल घूमने आने वाले पर्यटकों में पैराग्लाइडिंग का आकर्षण रहता है। भीमताल के पास नौकुचियाताल में लगभग 12 कंपनियां पैराग्लाइडिंग कराती हैं। लेकिन एक्ट के तहत पैराग्लाइडिंग संचालित करने के लिए पर्यटन विभाग के पास रेग्यूलेटरी अथारिटी नहीं है। जिस कारण पर्यटकों के हितों के साथ खिलवाड़ की आशंका बढ़ जाती है। हालांकि पर्यटन विभाग ने इस बार एक्ट के तहत पैराग्लाइडिंग कराने की तैयारी की है।
बिना देखरेख खतरनाक है पैराग्लाइडिंग
हल्द्वानी। पैराग्लाइडिंग साहसिक खेल तो है ही लेकिन इसे सुरक्षित तरीके से संचालित न किया जाए तो ऐसे में पर्यटकों की जान को खतरा भी हो सकता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि ग्लाइडर को खराब मौसम, अधिक कोहरे तथा तेज हवा में उड़ाना प्रतिबंधित है लेकिन कई कंपनियां आर्थिक लालच में सुरक्षा के तमाम मानकों की अनदेखी करते हैं। इन्हीं लापरवाही के चलते वर्ष 2017 में कोर्ट ने पैराग्लाइडिंग पर रोक भी लगाई थी।
न्यूज़ क्रेडिट: amritvichar