उत्तराखंड

12 साल के हरीश कोरंगा ने घर में पड़े कबाड़ और गत्तों से बनाई जेसीबी मशीन

Gulabi Jagat
6 July 2022 12:02 PM GMT
12 साल के हरीश कोरंगा ने घर में पड़े कबाड़ और गत्तों से बनाई जेसीबी मशीन
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बागेश्वर: जिले के हिमालयी क्षेत्र कपकोट तहसील के भनार में कुंदन कोरंगा जेसीबी ऑपरेटर हैं. उनका बेटा हरीश कई बार पिता के साथ जेसीबी के काम को देखने गया. अब उसने अपनी मेहनत से घर में पड़े रद्दी सामान से ऐसी जेसीबी मशीन बना दी कि देखने वाला हर कोई दंग है. कपकोट के दूरस्थ और दुर्गम गांव में रहने वाला 12 साल का हरीश कोरंगा के गांव में आज भी संचार सुविधा उपलब्ध नहीं है. सीमित संसाधनों में जिंदगी गुजर-बसर कर रहे हरीश को बचपन जुगाड़ के जरिए कई चीजें बना चुके हैं. जब भी घर वाले उसे खिलौने दिलाते हैं तो वह उसकी तकनीक को जानने के लिए उत्सुक रहता है.
हरीश के पिता कुंदन कोरंगा जेसीबी ऑपरेटर हैं. हरीश कई बार पिता के साथ जेसीबी देखने गया. अपनी जिज्ञासा से जेसीबी की तकनीकी पर उसने काम किया. इसके बाद कुछ ही समय में उसने घरेलू सामग्री, बेकार मेडिकल इंजेक्शन, कॉपियों के गत्ते, पेटी, आइसक्रीम की डंडियों से हाइड्रोलिक आधारित ऐसी जेसीबी मशीन बना दी कि देखने वाले हैरान हैं.
बागेश्वर के हिमालयी क्षेत्र में स्थित भनार के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले 7वीं कक्षा के विद्यार्थी हरीश का हुनर देख लोग दंग रह गए. हरीश की प्रतिभा को देखकर लोग उसकी पीठ थपथपा रहे हैं. रद्दी सामान से बनाई गई जेसीबी अन्य विद्यार्थियों के लिए भी एक सीख बनी हुई है. हरीश के पिता कुंदन बताते हैं कि हरीश को घर में जो भी सामान मिलता है, उसको वह खोलकर बैठ जाता है. अपनी इसी आदत के चलते वह कई बार विद्युत उपकरणों से छेड़छाड़ करते हुए हल्के फुल्के करंट के झटके भी खा चुका है.
वहीं, हरीश के जेसीबी का वीडियो सोशल यूटूबर लक्ष्मण कोरंगा ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर डाला, जो काफी वायरल हो रहा है. यूट्यूबर लक्ष्मण कोरंगा हरीश की तारीफ करते हुए कहते हैं की पहाड़ के दुर्गम क्षेत्रों में रहकर पढ़ाई-लिखाई करने वाले बच्चों में प्रतिभा की कमी नहीं है. उन्हें सही मार्गदर्शन से निखारने की जरूरत है. हरीश के छोटे-छोटे हाथों से जेसीबी मशीन को ऑपरेट करते देखना आश्चर्यजनक लगता है.
हरीश ने बताया वह बचपन से ही तकनीकी में रूचि रखता है. पिता को जेसीबी चलाता देख जेसीबी में उसको उसे बनाने की दिलचस्पी बढ़ी. लगातार कोशिशों के बाद उसने आखिरकार यह जेसीबी बना ही ली. साथ ही अन्य सामान भी बनाए हैं. इससे पहले वह हेलीकॉप्टर बनाकर उड़ा चुका है. स्थानीय मोहन कोरंगा ने बताया आज के इस डिजिटल युग में भी हमारे गांव में मोबाइल नेटवर्क नहीं है. आज भी हम कम्युनिकेशन से कोसों दूर हैं. हमें बात करने के लिए अभी भी कई किमी दूर जाना पड़ता है. हरीश जैसे बच्चे की प्रतिभा को सरकार और प्रशासन द्वारा सहाराना मिलनी चाहिए.
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