कभी बड़े-बड़े नेताओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होने वाला भाजपा नेता हाकम सिंह अपने करीबी और यूकेएसएसएससी पेपर लीक मामले के मास्टर माइंड मूसा के साथ सलाखों के पीछे हैं। अब इन पर वर्ष 2015 में हुई दरोगा भर्ती के घोटाले का भी आरोप है। विजिलेंस मामले में 12 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर चुकी है और खबर है कि जल्द ही विजिलेंस 10 दरोगाओं के खिलाफ केस दर्ज कर सकती है।
बता दें कि वर्ष 2015 में पंतनगर विश्वविद्यालय ने दरोगाओं के 339 पदों पर भर्ती परीक्षा का आयोजन किया था। अब सात साल बाद भर्ती में धांधली की जांच शुरू हुई तो बड़े-बड़े नाम सामने आए। आरोपी हाकम सिंह, सैय्यद मूसा, केंद्र पाल सिंह, चंदन मनराल के साथ पेपर छापने वाली कंपनी के मालिक राजेश चौहान की दारोगा भर्ती घोटाले में अहम भूमिका रही और इन्होंने मोटी रकम लेकर कइयों को भर्ती कराया। बहरहाल, दरोगा भर्ती में गड़बड़ी की आशंका को लेकर पुलिस महकमे में हड़कंप मचा हुआ है।
कुमाऊं में भी कई दरोगा अधिकारियों के निशाने पर हैं और इसकी वजह है इन दरोगाओं की कार्यशैली। वर्ष 2015 में भर्ती हुए कुल 339 दरोगाओं में से तकरीबन 120 कुमाऊं में अहम थाने और चौकियों में तैनात हैं। खास बात ये है कि सबसे ज्यादा 46 दरोगा उस ऊधमसिंहनगर में तैनात हैं, जहां यूकेएसएसएससी परीक्षा घोटाले के चक्कर में सबसे ज्यादा गिरफ्तारियां हुईं। इसके बाद 2015 बैच वाले सबसे ज्यादा 38 दरोगाओं की तैनाती नैनीताल जिले में है। इसके अलावा अल्मोड़ा में सात, बागेश्वर में सात, पिथौरागढ़ में 15 और चम्पावत में सात दरोगाओं की तैनाती बताई जा रही है।
सूत्रों का कहना है कि अभी तक की जांच में विजिलेंस को 10 ऐसे दरोगाओं के नाम मिले हैं, जो पुख्ता तौर पर गलत तरीके से न सिर्फ दरोगा भर्ती का हिस्सा बने बल्कि लाखों रुपये की घूम देकर वर्दी भी खरीद ली। हालांकि सूत्र यहां तक कह रहे हैं इस पूरे प्रकरण में 50 दरोगाओं पर गाज गिर सकती है, लेकिन जिन 10 दरोगाओं के नाम की पुष्टि सूत्र कर रहें है, उनके खिलाफ आने वाले दो से तीन दिनों में केस दर्ज किया जा सकता है। जांच में यह भी सामने आया कि हाकम और मूसा के गठजोड़ ने यूकेएसएसएससी पेपर लीक मामले की तर्ज पर दरोगा भर्ती के न सिर्फ पर्चे लीक कराए, बल्कि लाखों रुपए में बेचे और अनफिट युवाओं को दरोगा बनवाया।
ऐन वक्त पर पुलिस से छील ली गई जांच
यूकेएसएसएससी पेपर लीक मामले की जांच एसटीएफ ने शुरू की थी और जब लोगों की गिरफ्तारी के साथ जांच शुरू हुई तो दरोगा भर्ती से भी घोटाले की बू आने लगी। हाकम सिंह और मूसा से जब एसटीएफ ने इस बारे में पूछताछ शुरू की तो राज परत दर परत खुलने लगे। मामले ने तूल पकड़ा तो दरोगा भर्ती की जांच पुलिस के सुपुर्द करने की तैयारी कर ली गई, लेकिन ऐन मौके पर जांच यह कहकर वापस ले ली गई कि पुलिस विभाग में ही घोटाले हुए और उन्हें ही जांच कैसे दी जा सकती है। जिसके बाद जांच विजिलेंस को दी गई।
मजबूत साक्ष्यों के साथ की होगी गिरफ्तारी
दरोगा भर्ती मामले में जांच के लिए विजिलेंस ने ठीक-ठाक समय लिया और फिर 12 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है। दावा है कि इन सभी 12 लोगों के खिलाफ विजिलेंस के पास पुख्ता सुबूत हैं और अब जिन लोगों के खिलाफ केस दर्ज करने की तैयारी है, उनके खिलाफ मजबूत सुबूत जुटाए जा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि विजिलेंस ने जिनके खिलाफ केस दर्ज किया है, उनकी जल्द गिरफ्तारी भी हो सकती है और गिरफ्तारी से पहले टीम कुछ और साक्ष्यों को मजबूत करने में लगी है। जिसके बाद इन्हें अदालत तक ले जाया जाएगा।
इन जालसाजों पर दर्ज गया किया है केस
विजिलेंस ने जिन 12 लोगों के खिलाफ केस दर्ज है उसमें पंतनगर विवि के नरेंद्र सिंह जादौन और पूर्व एईओ दिनेश चंद्र जोशी हैं। इसके अलावा नकल गिरोह का सरगना और यूकेएसएसएससी पेपर लीक प्रकरण का मास्टर माइंड सैय्यद सादिक हुसैन मूसा, पूर्व भाजपा नेता व उत्तरकाशी का जिला पंचायत सदस्य हाकम सिंह, चंदन मनराल, केंद्र पाल, रूपेश जायसवाल, आरएमएस टेक्ना साल्यूशंश कंपनी का मालिक राजेश कुमार चौहान, संजीव कुमार चौहान, राजेश पाल, विपिन बिहारी व नितीश गुप्ता हैं।
न्यूज़ क्रेडिट: amritvichar