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SP-BSP या BJP कौन है ज्यादा मजबूत, किस पार्टी ने खेला कौन सा दांव, आजमगढ़ लोकसभा सीट पर क्या है समीकरण
Admin4
12 Jun 2022 9:10 AM GMT
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SP-BSP या BJP कौन है ज्यादा मजबूत, किस पार्टी ने खेला कौन सा दांव, आजमगढ़ लोकसभा सीट पर क्या है समीकरण
आजमगढ़ लोकसभा सीट (Azamgarh Lok Sabha By Poll) के लिए 23 जून को होने वाले उपचुनाव में प्रत्याशियों को लेकर अब तीनों पार्टियों की स्थिति साफ हो चुकी है. आजमगढ़ लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने धर्मेंद्र यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है. तो वहीं बसपा ने जिले की मुबारकपुर विधानसभा सीट से 2 बार विधायक रह चुके गुड्डू जमाली को अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं भाजपा ने अपने पुराने लोकसभा उम्मीदवार दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ को फिर चुनाव में उतारा है. 2019 के लोकसभा चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे दिनेश लाल निरहुआ ने अखिलेश यादव को मजबूत चुनौती दी थी. हालांकि अखिलेश यादव की ढाई लाख से ज्यादा मतों से जीत भी हुई थी.
हालांकि इस बार पूर्व मुख्यमंत्री एवं सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव इस सीट के जातिय समीकरण के लिहाज से आजमगढ़ लोकसभा सीट पर जीत के प्रति आश्वस्त हैं. इसी वजह से उन्होंने किसी और प्रत्याशी पर भरोसा नहीं जाताया है. उन्होंने खुद सैफई परिवार से जुड़े हुए अपने चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को चुनाव मैदान में उतारा है. अखिलेश यादव इस चीज को किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहते हैं.
आजमगढ़ सीट पर सपा को जीत का पूरा भरोसा
आजमगढ़ लोकसभा सीट के लिए होने जा रहे उपचुनाव में तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर लग गई है. वहीं सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव यह मानते हैं कि आजमगढ़ में उनका किसी से मुकाबला नहीं है. आजमगढ़ लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली 5 विधानसभा गोपालपुर, सगड़ी, मुबारकपुर, आजमगढ़ सदर और मेहनगर का क्षेत्र शामिल है. इन सभी विधानसभा में सपा ने जीत दर्ज की है. इसलिए सपा को पूरा भरोसा है की जीत उसी की होगी. वहीं दूसरी तरफ आजमगढ़ लोकसभा सीट के जातिय समीकरण के हिसाब से अखिलेश यादव जीत पक्की मान रहे हैं. आजमगढ़ लोकसभा सीट पर उनकी जीत पक्की है क्योंकि 19 लाख के मतदाता वाली लोकसभा सीट में सपा के वोट बैंक की यादव मतदाता 26 फीसदी और मुस्लिम मतदाता 24 फीसदी को जोड़ दें तो 50 फ़ीसदी वोटरों पर उनकी पकड़ मजबूत है.
बसपा के क्या है जातीय समीकरण
बसपा भी दलित और मुस्लिमों को के जातिय गणित को देखते हुए अपनी जीत का दावा कर रही है. आजमगढ़ लोकसभा सीट में यादव, मुस्लिम के बाद सबसे ज्यादा दलित मतदाताओं की आबादी है. इस लोकसभा सीट में दलित मतदाता कुल 20 फ़ीसदी हैं. बसपा ने गुड्डू जमाली को अपना प्रत्याशी बनाया है. वह यहां कि मुस्लिम बहुल मुबारकपुर विधानसभा सीट से 2 बार विधायक रह चुके हैं. उनकी यहां मुस्लिम मतदाताओं में मजबूत पकड़ मानी जाती है. वहीं बसपा मुस्लिम और दलित मतदाताओं की गठजोड़ के आधार पर अपनी जीत के दावे कर रही है. क्योंकि 44 फ़ीसदी मतदाताओं पर बसपा अपनी पकड़ मजबूत बता रही है.आजमगढ़ लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली पांच विधानसभाओं में मुबारकपुर जहां मुस्लिम बहुत सीट है तो वही मेहनगर सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. इस सीट पर एक लाख से ज्यादा दलित मतदाता है.
पिछड़े और सवर्ण मतदाता के भरोसे हैं भाजपा
आजमगढ़ लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. भाजपा ने दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ को दोबारा अपना प्रत्याशी बनाकर उतारा है. वही दिनेश लाल यादव के माध्यम से भाजपा को भरोसा है कि वह यादव वोट बैंक में सेंध लगाएंगे. तो वहीं दूसरी तरफ पिछड़े और सवर्ण मतदाता के सहारे वे अपनी जीत को पक्का करेंगे. आजमगढ़ लोकसभा सीट पर भाजपा 2009 में केवल एक बार जीत दर्ज कर सकी है. अभी तक हुए लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा कांग्रेस, बसपा और सपा को जीत मिली है. 2009 में भाजपा के टिकट पर रमाकांत यादव ने जीत दर्ज की थी. वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव के खिलाफ दिनेश लाल यादव ने 3 लाख 61 हजार वोट मिले थे. जबकि अखिलेश यादव को 6,21,000 से ज्यादा मत मिले. इस बार सपा ना ही मुलायम सिंह यादव चुनाव मैदान में है और ना ही अखिलेश यादव. इसलिए धर्मेंद्र यादव के खिलाफ भाजपा खुद को ज्यादा मजबूत मान नहीं है.
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