उत्तर प्रदेश

जहां हर साल चावल के बराबर बढ़ता है शिवलिंग

Admin4
28 July 2022 10:08 AM GMT
जहां हर साल चावल के बराबर बढ़ता है शिवलिंग
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हमीरपुर: उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में हजारों साल पुराने शिव मंदिर में स्थापित शिवलिंग बड़ा ही अद्भुत है। ऐसी मान्यता है कि ये शिवलिंग हर साल चावल के बराबर बढ़ता है। यह मंदिर गुप्तकाल और चंदेल काल के बीच बना था, जिसकी दीवार की शिलालेख की भाषा आज भी समझ से परे है। इस शिव मंदिर में सावन मास की धूम मची हुई है। यहां सुबह से लेकर शाम तक पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है।

हमीरपुर जिले के सरीला कस्बे में किसी जमाने में रियासत होती थी। यह क्षेत्र आज भी सबसे ज्यादा पिछड़ा है। ये क्षेत्र महाभारत काल से भी जुड़ा है। यहां एक ऐसा शिव मंदिर बना है, जो बुंदेलखंड और आसपास के क्षेत्रों में शल्लेश्वर मंदिर के नाम से विख्यात है। इस शिव मंदिर के गर्भ में महाभारतकालीन इतिहास छिपा है। बताते हैं कि मंदिर के गर्भ में विशालकाय शिवलिंग स्थापित है, जिसकी गणना लोधेश्वर, कोटेश्वर समेत कई मंदिरों से की जाती है। मंदिर के दीवार पर देवनगरी में एक शिलालेख है, जिसमें लिखी देवनगरी को कोई समझ नहीं पाया है। शिलालेख में संवत् 1202 लिखा है। इसी में शिल्लसेन प्रवर्धिता लिखा शिलालेख भी लगा है।

बुंदेलखंड में कभी हुआ करते थे सोलह जनपद

मंदिर के वैभव से जुड़े महेन्द्र कुमार ने बताया कि हजारों साल पहले बुंदेलखंड में सोलह जनपद थे, जिसमें एक जनपद चेदिन के नाम से विख्यात रहा है। अब इसे बुंदेलखंड के नाम से जाना जाता है। चेदिन महा जनपद की राजधानी की शुक्तिमती थी। इस जनपद के प्राचीनतम राजा शिशुपाल ही थे, जिन्हें श्रीकृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से वध किया था। चेदिन प्रदेश का छोटा हिस्सा सरीला है। जहां अति प्राचीनतम शिवलिंग शल्लेश्वर मंदिर में स्थापित है। मंदिर में स्थापित शिवलिंग चावल के बराबर हर साल बढ़ता है।

गुप्तकाल एवं चंदेलकाल के मध्य बना था मंदिर

यहां के इतिहासकार डॉ. भवानीदीन का कहना है कि शल्लेश्वर धाम सरीला में स्थापित शिवलिंग प्राचीनतम है। मंदिर में बने मठ को देखकर यहीं लगता है कि इसका निर्माण गुप्तकाल एवं चंदेलकाल के मध्य हुआ होगा, लेकिन शिवलिंग देखने से प्रतीत होता है कि इसका निर्माण चंदेलकाल के पहले ही कराया गया है। उन्होंने बताया कि मठ में गुंबद दीवार होने से यह मंदिर चंदेलकालीन ही प्रतीत होता है। सरीला स्टेट की वंशावली महाराज छत्रसाल से प्रारंभ हुई थी, जो आज भी सरीला स्टेट हमीरपुर की एक तहसील है।

गुप्तकाल में मंदिरों और वास्तुकला का हुआ था उदय

क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी डॉ. एसके दुबे का कहना है कि बुंदेलखंड में गुप्तकाल में मंदिरों के निर्माण शुरू हुए थे और चंदेलकाल तक इनका विस्तार चरम पर था। बुंदेलखंड में चंदेलों का साम्राज्य नौवीं शताब्दी में स्थापित था। प्रथम शासक राजा चन्द्रवर्धन थे। ये चन्द्रवंशी क्षत्रिय थे। क्षेत्र में सर्वाधिक मंदिरों के निर्माण चंदेलकाल में हुए थे। राजा परमलाल सन् 1202 में कुतुबुद्दीन एबक से पराजित होकर बांदा जिले के कालिंजर भाग गए थे। इसके बाद यह बुंदेलखंड का पूरा क्षेत्र ही मुस्लिम राजाओं के आधीन हो गया था।

865 साल पहले शल्लेश्वर मंदिर का हुआ था विस्तार

मंदिर में धार्मिक आयोजन कराने वाले महेन्द्र कुमार मंत्री ने बताया कि इस मंदिर का विस्तार 865 साल पहले हुआ था। राजा परमलाल के पूर्व शिल्लेसन राजा ने इस मंदिर का विस्तार कराया था। यह कंकरीट और चूने से बना है, जिसकी मजबूती बेमिसाल है। मंदिर भी चंदेलकालीन तेलीय पत्थर से निर्मित है। स्थानीय लोगों की मदद से मंदिर को आधुनिक रूप दिया गया है। बताया कि मंदिर के पास ही तालाब है, जिसके किनारे शल्हऊ कुआं है। मंदिर से तालाब व कुएं का कोई कनेक्शन है। इसका पानी पीने से चर्म रोग छूमंतर हो जाता है।

रिपोर्ट-पंकज मिश्रा

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