उत्तर प्रदेश

उत्तर-प्रदेश: अखिल भारतीय शिक्षा समागम में शिंजो आबे को श्रद्धांजलि, आत्मा की शांति के लिए काशीवासियों ने की प्रार्थना

Kajal Dubey
9 July 2022 5:53 PM GMT
उत्तर-प्रदेश: अखिल भारतीय शिक्षा समागम में शिंजो आबे को श्रद्धांजलि, आत्मा की शांति के लिए काशीवासियों ने की प्रार्थना
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जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की हत्या के बाद शनिवार को भी काशी शोक में डूबी है। उनके दुखद निधन पर कई संगठनों ने शोक जताया। रुद्राक्ष इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में आयोजित तीन दिवसीय अखिल भारतीय शिक्षा समागम के आखिरी दिन की शुरुआत शोकसभा से हुई।
समागम शुरू होने से पहले सभागार में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और देशभर से पहुंचे शिक्षाविदो ने शिंजो आबे को श्रद्धांजलि दी। दो मिनट का मौन रखकर मृतात्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की। इससे पहले शनिवार सुबह कई लोग रुद्राक्ष इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर के सामने लोग पहुंचे।
इस दौरान सभी ने शिंजो आबे की तस्वीरों को रुद्राक्ष की माला पहना कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। वहीं, शिंजो आबे के सम्मान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित किए राजकीय शोक के कारण रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर के बाहर फहराए गए हिंदुस्तान और जापान के राष्ट्रीय ध्वजों को आधा झुका दिया गया। रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर निर्माण के पीछे शिंजो आबे का अहम योगदान है।
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शिंजो आबे ने काशी दौरे पर बनारस को दी थी रुद्राक्ष की सौगात
काशी में जापान और भारत की दोस्ती के प्रतीक के रूप में रुद्राक्ष कंवेंशन सेंटर की नींव 12 दिसंबर 2015 को पड़ी थी। उस समय के जापानी पीएम रहे शिंजो आबे काशी दौरे पर थे। आबे ने ही रुद्राक्ष के निर्माण की घोषणा की थी। 186 करोड़ रुपये की लागत से रुद्राक्ष का निर्माण जापानी कंपनी ने किया। शिवलिंग की आकृति वाले इस सेंटर में 108 स्टील के रुद्राक्ष लगे हैं। सेंटर में एक साथ 1200 लोगों के बैठने की व्यवस्था है। हालांकि 2021 में लोकार्पण के समय जापान के पीएम योशिहिदे सुगा रहे।
जापान के पूर्व प्रधानमंत्री के नाम समर्पित रही गंगा आरती
जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने जिस गंगा घाट पर हाथ में गंगाजल लेकर विश्व शांति की कामना की थी, वहीं पर उनको श्रद्धांजलि अर्पित की गई। शुक्रवार की शाम दशाश्वमेध घाट पर होने वाली गंगा आरती शिंजो आबे को समर्पित रही। अर्चकों के साथ देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं ने दो मिनट का मौन रखकर उन्हेें नमन किया।
दशाश्वमेध घाट पर जहां बैठकर शिंजो आबे ने गंगा आरती देखी थी, उसी स्थान पर 501 दीपों से नमन लिखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। गंगा सेवा निधि के सातों अर्चकों ने पहले मां गंगा में दीपदान किया। इसके बाद हाथों में शिंजो आबे की तस्वीर लेकर उन्हें नमन किया। उनकी आत्मा की शांति के लिए मां गंगा से प्रार्थना की गई। इस दौरान गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्रा, सचिव सुरजीत सिंह, हनुमान यादव उपस्थित थे। वहीं, सारनाथ स्थित जापानी मंदिर में भी उन्हें मौन श्रद्धांजलि दी गई।
सच्चे काशी मित्र थे शिंजो आबे
पूर्व मंत्री शतरुद्र प्रकाश ने कहा कि शिंजो आबे की हत्या निंदनीय है। वे सच्चे काशी मित्र थे। काशी में रुद्राक्ष उनका सर्वश्रेष्ठ उपहार है। उनकी हत्या से काशी शोक संतप्त है। भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष महेश चंद श्रीवास्तव ने कहा कि शिंजो आबे ने भारत-जापान संबंधों को वैश्विक स्तर पर बढ़ाने में योगदान दिया है। वह पहले जापानी पीएम थे जिन्होंने कई बार भारत की यात्रा की।
शोक जताने वालों में भाजपा जिलाध्यक्ष हंसराज विश्वकर्मा, महानगर अध्यक्ष विद्यासागर राय, अशोक चौरसिया, राकेश शर्मा, नवरतन राठी, संतोष सोलापुरकर शामिल रहे। स्वराज संस्था के प्रबंधक विकास चंद्र तिवारी ने श्रद्धांजलि दी। महानगर उद्योग व्यापार समिति की ओर से लहुराबीर आजाद पार्क में श्रद्धांजलि सभा हुई। इस दौरान प्रेम मिश्रा, अशोक जायसवाल, रजनीश कन्नौजिया, शोभनाथ विश्वकर्मा, मनीष मौजूद रहे। आईआईए के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आरके चौधरी ने कहा कि रूद्राक्ष और बनारस के विकास में शिंजो आबे का महत्वपूर्ण योगदान रहा। वह काशी को देख काफी अभिभूत हुए थे।
शिंजो आबे को काशी की संस्कृति से लगाव था : मोहले
वाराणसी के पूर्व महापौर रामगोपाल मोहले ने जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की हत्या की निंदा के साथ शोक संवेदना प्रकट की। उनके साथ जुड़ी यादों को साझा किया। कहा कि 2015 में उन्होंने बतौर महापौर शिंजो आबे का स्वागत किया थे। प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर उन्हें केंद्र सरकार के शिष्टमंडल में जापान जाने का अवसर मिला था।
उस दौरान जापान में पीएम शिंजो आबे से आत्मीय मुलाकात हुई थी। करीब सात वर्ष पूर्व जब वे काशी आए थे तो पीएम के साथ उनकी अगवानी करने का मौका मिला था। शिंजो आबे को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उन्होंने बाबा विश्वनाथ से उनकी आत्मा को शांति प्रदान करने और विश्व में हिंसा और आतंक की पक्षधर ताकतों के विनाश की कामना की है।
मोहले ने बताया कि जापान के पूर्व पीएम को काशी की आध्यात्मिक संस्कृति और परंपराओं से काफी लगाव था। इसके चलते जापान और भारत के रिश्तों में प्रगाढ़ता बढ़ी। क्योटो की तर्ज पर काशी का विकास हुआ। क्योटो भी गलियों का शहर है। वहां के विकास को देखकर यहां विकास कार्य कराए गए।
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