उत्तर प्रदेश

उत्तर-प्रदेश: बायो स्रोत से देश में पहली बार नैनो सिलिका खोजी गई, प्रदूषण घटाने-पेंट फैक्टरी और बैटरी में आएगी काम

Kajal Dubey
14 Jun 2022 6:29 PM GMT
उत्तर-प्रदेश: बायो स्रोत से देश में पहली बार नैनो सिलिका खोजी गई, प्रदूषण घटाने-पेंट फैक्टरी और बैटरी में आएगी काम
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नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट (एनएसआई) ने गन्ने की खोई की राख में नैनो सिलिका खोज लिया है। वैसे तो नैनो सिलिका अन्य स्रोतों से मिलता है लेकिन बायो स्रोत से देश में पहली बार इसे खोजा गया। इसे राख से निकालने की तकनीक भी एनएसआई ने विकसित की है। इसे अब पेटेंट कराया जा रहा है।
नैनो सिलिका पार्टिकल्स दवा उद्योग, पेंट और बैटरी उद्योग, लिथियम आयरन बैटरीज, नैनो फर्टिलाइजर आदि में इस्तेमाल होता है। अभी मिनरल्स स्रोत से जो नैनो सिलिका मिल रहा है, उसकी कीमत सात सौ से एक हजार रुपये किलो पड़ती है लेकिन खोई की राख से मिली नैनो सिलिका की कीमत सौ रुपये किलो पड़ेगी। गन्ने की खोई का इस्तेमाल चीनी मिल के बायलर के ईंधन के रूप में होता है। इससे निकलने वाली राख अभी तक गड्ढा पाटने के ही काम आती थी।
इसे प्रदूषण का कारक भी माना जाता रहा है। साथ ही इसका निस्तारण कराने में चीनी मिलों का खर्च बढ़ जाता है, लेकिन इससे निकलने वाला नैनो सिलिका पार्टिकल्स प्रदूषण सोखने के भी काम आता है। एनएसआई के निदेशक प्रोफेसर नरेंद्र मोहन ने बताया कि नैनो सिलिका पार्टिकल्स की खोज और इसकी तकनीक सीनियर रिसर्च फैलो डॉ. शालिनी कुमारी ने की है। उनके गाइड डॉ. विष्णु प्रभाकर श्रीवास्तव थे। इस तकनीक को विकसित करने में दो साल लगे हैं। उन्होंने बताया कि अभी तक विभिन्न मिनरल्स स्रोतों से नैनो सिलिका मिलता है। बायो स्रोत से पहली बार खोजा गया है।
निदेशक प्रोफेसर नरेंद्र मोहन ने बताया कि तकनीक को पेटेंट करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। गोवा में 28-29 जुलाई को भारतीय चीनी प्रोद्योगिकी संघ के सम्मेलन में भी इस तकनीक को प्रस्तुत किया जाएगा। सीनियर रिसर्च फैलो शालिनी कुमारी ने इस प्रक्रिया में अम्ल, क्षार और हीट ट्रीटमेंट के चरणों के संबंध में बताया। नैनो सिलिका तकनीक की जांच आईआईटी दिल्ली से भी कराई गई। उत्पाद की पुष्टि स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी, एक्सरे विवर्तन विश्लेषण और फूरियर ट्रांसफॉर्म इंफ्रा रेड तकनीक से की गई।
तथ्य
- देश में चीनी मिलों से प्राप्त होती है 50 लाख टन खोई।
- इसके जलाने पर प्राप्त होती है 15 लाख टन राख।
-15 लाख टन राख से प्राप्त किए जा सकते हैं तीन लाख टन सिलिका नैनो पार्टिकल।
- खोई की एक किलो राख से 20 फीसदी नैनो सिलिका पार्टिकल्स मिलते हैं।
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