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पुलिस टीम ने चार बाइबल अन्य ईसाई समुदाय की पुस्तकें, रजिस्टर व अन्य उपकरण भी बरामद किए है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क : रायबरेली के ब्लॉक क्षेत्र खैरहनी गांव में एक मकान में बंद कमरे में कराए जा रहे धर्म परिवर्तन की जानकारी ग्रामीणों को हुई। ग्रामीणों ने इसकी जानकारी बजरंग दल को दे दी। सूचना पुलिस को दे दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने धर्म परिवर्तन कराने आए पांच लोगों को हिरासत में ले लिया। पुलिस ने पूछताछ के बाद उन्हें जेल भेज दिया है।
लखनऊ के रहने वाले तीन ईसाई समुदाय के युवक और युवतियों द्वारा गांव में एक मकान के अंदर बंद कमरे में कुछ लोगों का धर्म परिवर्तन करा रहे थे। ग्रामीणों को इसकी जानकारी हुई तो वह विरोध जताने लगे। धर्म परिवर्तन कराने आए युवक भी विरोध करने वाले लोगों को समझाने लगे। इसके बाद ग्रामीणों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया और सूचना बजरंग दल के संयोजक रणवीर सिंह और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सुनील द्विवेदी, श्रीश चौधरी, नीरज चौरसिया को दे दी।सभी मौके पर पहुंचे देखा कि एक बंद कमरे में सैकड़ों लोगों को इकठ्ठा करके उन्हें धर्म परिवर्तन करने के लिए समझाया जा रहा है और परेशान व गरीब ग्रामीणों को गरीबी व परेशानी बीमारी से निजात दिलाने के नाम पर धर्म परिवर्तन कर अपराध कराया जा रहा है। वहीं धर्म परिवर्तन कराने आए युवक और युवतियां और मकान मालिक द्वारा धार्मिक प्रतिमाओं पर अभद्र टिप्पणी भी कर रहे थे। गांव में कराए जा रहे धर्म परिवर्तन की सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने बंद कमरे में धर्म परिवर्तन कराने आए विक्रम कश्यप, गजराज कश्यप और नेहा कश्यप निवासी 279/ 8 पानदरीबा चारबाग लखनऊ, व मकान मालिक लवकुश जायसवाल व दुर्गेश पुत्र रजलाल निवासी खैरहनी को गिरफ्तार कर लिया गया है। पकड़े गए युवकों के पास से पुलिस टीम ने चार बाइबल अन्य ईसाई समुदाय की पुस्तकें, रजिस्टर व अन्य उपकरण भी बरामद किए है।
न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की एकल पीठ ने 13 जुलाई को सवा तीन बजे मामले की सुनवाई शुरू करने का आदेश दिया है। सोमवार को भी वादी पक्ष की ओर से तमाम गवाहों के बयानों को उद्धत करते हुए, दलील दी गई कि मामले में आशीष मिश्रा की पूरी संलिप्तता थी। कहा गया कि गवाहों के बयानों से आशीष मिश्रा पर लगे आरोपों की पुष्टि होती है।उल्लेखनीय है कि 10 फरवरी को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आशीष मिश्रा की याचिका को मंजूर करते हुए, उसे जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था। बाद में जमानत मंजूर किए जाने के इस आदेश को सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष मामले के वादी पक्ष ने चुनौती दी थी। इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त करते हुए, वादी पक्ष को सुनवाई का पर्याप्त अवसर देते हुए, मामले को दोबारा सुने जाने का निर्देश दिया था।
source-hindustan
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