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बरेली। सात दिवसीय शाहदाना वली के उर्स का परचम कुशाई की रस्म के साथ आगाज हो गया। इससे पहले आस्ताने पर फज्र की नमाज के बाद दिन की शुरुआत कुरान की तिलावत से हुई। दिन भर दरगाह पर हाजिरी देने वालों का तांता लगा रहा। असर की नमाज के बाद लाल मस्जिद हाजी अजहर बेग के निवास से दरगाह आला हजरत के सज्जादानशीन अहसान मियां की सरपरस्ती में जुलूस-ए-परचम रवाना हुआ, जो मलूकपुर, दरगाह आला हजरत, बिहारीपुर ढाल, खलील तिराहा, नोवल्टी चौराहा, आजम नगर के रास्ते शाहमतगंज होता हुआ दरगाह शाहदाना वली पर पहुंचा। जगह-जगह जुलूस का स्वागत हुआ।
मुफ्ती अहसान मियां ने परचम कुशाई की रस्म अदा कर उर्स का आगाज किया। परचम लाने वाले अजहर बेग, सैय्यद चमन अली, नासिर कुरैशी, गुलाम सुब्हानी, फरमान बेग,फैजान बेग, सैय्यद फुरकान, सैय्यद मुजीब अली, शाहिद अली, दरगाह के मुतवल्ली अब्दुल वाजिद नूरी आदि की अहसन मियां ने दस्तारबंदी कर उर्स की मुबारकबाद दी। रात 10 बजे नातो मनकबत व मुशायरा हुआ, जिसकी सदारत सूफी रिजवान रजा खां ने की। निजामत नवाब अख्तर मोहनपुरी ने की। मुशायरा के समन्वयक दुलारे फारूकी रहे।
जिसमें दूरदराज से आये नातख्वां बिलाल राग, राहिल बरेलवी, नदीम बदायूंनी, डा. अमन, सरवत परवेज शराफत, अली अल्वी, रईस अहमद ने कलाम पेश किए। प्रबंधन कमेटी के मोहम्मद सलीम रजा कादरी, अब्दुल सलाम नूरी, जावेद खां, जफर अली, इरफान गोसी, भूरा साबरी आदि मौजूद रहे। मीडिया प्रभारी वसी अहमद वारसी ने बताया कि शुक्रवार को जोगी नवादा से मरहूम अब्दुल करीम व महबूब साबरी के मकान से जुलूस-ए-गागर शाम 4.30 बजे रवाना होगा, जिसकी सरपरस्ती सूफी रिजवान रजा खां दरगाह तहसीनी करेंगे।
Admin4
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