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कानपूर। यातायात महीने की शुरुआत 1 नवम्बर से हो गई है. इसको लेकर ट्रैफिक लाइन में आयोजन किया गया. साथ ही लोगों को जागरूक करने के लिए पर्चे छपवाने और जागरूकता वैन चलाने का फैसला हुआ. यही नहीं ई-रिक्शा, ऑटो और टैम्पो चालकों को नियमों का पाठ पढ़ाने के लिए ही रणनीति बन गई. उनका स्वास्थ्य चेकअप के लिए भी खाका तैयार हो गया. यातायात माह की शुरुआत में हुए आयोजन पर मुख्य अतिथि के रूप में कमिश्नर डॉ राजशेखर और पुलिस कमिश्नर शामिल हुए. इस दौरान कमिश्नर ने यातायात को सुधारने के लिए चिंता भी जताई.
यातायात माह में लोगों को जागरूक करने लिए ट्रैफिक विभाग ने रणनीति बनाई है. वे नुक्कड़ नाटक और जागरूकता वैन चलाकर लोगों को जागरूक करेंगे. इन सबके बीच जिम्मेदार अधिकारी एक बात भूल गए कि कानपुर में करीब 238 चौराहे हैं. इनमें से 120 चौराहों पर संकेतक तक नहीं है. न तो जेब्रा क्रॉसिंग बनी है और न तो सिग्नल चल रहे हैं. कई चौराहों पर तो टाइमर के साथ कैमरे भी खराब पड़े हैं. कुछ चौराहे ऐसे भी हैं कि उनमें रेड लाइट पार करते ही सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढे हैं. ऐसे में जिम्मेदार अधिकारी लोगों को कैसे जागरूक कर पाएंगे?
मरियमपुर चौराहे पर ट्रैफिक सिग्नल तो लगा है लेकिन बंद पड़ा है. यहां इशारों से ट्रैफिक को चलाया जा रहा. यही स्थिति विजय नगर सब्जी मंडी चौराहे की है. यहां पर भी सिग्नल बंद पड़े हैं. कैमरे विपरीत दिशा में चल रहे हैं. कई जगहों पर सिग्नल के आगे पेड़ लगे हुए हैं. वह बंद भी पड़े हैं. यातायात को सुधारने और लोगों को नियमों का पाठ पढ़ाने के लिए जिम्मेदारों ने फरमान तो सुना दिया लेकिन जमीनी हकीकत को नहीं समझा. इसका खुलासा प्रभात खबर कर रहा है. कानपुर में करीब 238 चौराहे हैं. इनमें से कई ऐसे चौराहे है जहां पर ट्रैफिक बूथ ही गायब है. कई चौराहों पर सिग्नल टूटकर लटके पड़े हैं. 238 चौराहों पर सिर्फ 24 चौराहों के सिग्नल सुचारु रूप से चल रहे हैं. शेष जगहों पर सिग्नल खराब पड़े हैं.
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