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हजारों लोगों ने अलग-अलग जत्थों में पहुंचकर अपने पितरों को मंत्रोच्चारण के साथ विधि विधानपूर्वक विदा किया
अश्वनि मास के शुक्ल पक्ष की अमावस्या को हजारों लोगों ने अलग-अलग जत्थों में पहुंचकर अपने पितरों को मंत्रोच्चारण के साथ विधि विधानपूर्वक विदा किया
पं. पवन शुक्ला ने गंगा के मेहंदीघाट पर आए लोगों को तर्पण कराकर उनके पूर्वजों को विदा कराया। सर्वप्रथम 'ओम आगच्छंतु पितरं इमं ग्रह्नन्णत्वोप…' मंत्र के उच्चारण के साथ पितरों का आह्वान किया। आह्वान में तिल और जल की तीन-तीन स्वधा से अंजलि दिलाईं गईं।
पं. शुक्ला ने सर्वप्रथम व्यक्ति के पिता के नाम, बाबा के नाम, परबाबा, मां, दादी, परदादी, नाना, परनाना,वृद्ध परनाना, नानी, परनानी तथा वृद्ध परनानी को विधिवत तिलांजलि दिलाई। तत्पश्चात चावल से लगभग 14 देवों को पूर्वाभिमुख कर अंजलि दी गईं। अंत में सूर्यदेव को मंत्र के साथ अर्घ्य देकर उस जल को आंखों और मस्तक से लगाकर पूर्वजों का आशीर्वाद लेकर सूर्यदेव से बुद्धि और नेत्रज्योति के लिए मंत्र पढ़े गए।
इसके बाद लोगों ने अपने आचार्यों का चरण स्पर्श कर उन्हें भोजन कराया और भेंट में रुपये, वस्त्र, फल तथा मिष्ठान आदि दिए। पितरों के 15 दिन धरती भ्रमण के बाद उन्हें विदा करने के लिए गंगा तट पर सुबह से लोगों का तांता लगा रहा। लोगों ने पुरोहितों के सानिध्य में तर्पण, स्नान दान कर पितरों को विदा किया।
न्यूज़ क्रेडिट : amritvichar