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न्यूज़क्रेडिट;अमरउजाला
एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम वाली 750 एंबुलेंस खरीदी जाएंगी। एंबुलेंस संचालन, प्रशिक्षित स्टाफ के वेतन और प्रशिक्षण पर भी करीब 165 करोड़ रुपए खर्च होंगे। कॉल सेंटर, कमांड सेंटर, सॉफ्टवेयर के संचालन ओर मेंटेनेंस आदि में सालाना 125 करोड़ रुपए खर्च होगा।
उत्तर प्रदेश में इमरजेंसी में अस्पताल आने वाले मरीजों को 48 घंटे तक निशुल्क चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इस पर तीन हजार करोड़ रुपया खर्च किया जाएगा। इसी तरह एंबुलेंस सेवा पर हर साल करीब तीन सौ करोड़ रुपये भी खर्च किए जाएंगे।
प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। प्रदेश में पहली बार लाइव इमरजेंसी मानिटरिंग सिस्टम लागू की गई है। इंटीग्रेटेड ट्रामा और इमरजेंसी मेडिसिन सेंटर की स्थापना की जाएगी। मरीज या तीमारदार के कॉल करने पर तत्काल एंबुलेंस मौके पर पहुंचेगी और मरीज को अस्पताल पहुंचाएगी। इस व्यवस्था पर तीन हजार करोड़ खर्च किए जाएंगे। इसमें पांच वर्षों में आधारभूत सुविधाओं के विकास पर 1614 करोड़ रुपए खर्च होंगे। ट्रामा में आने वाले मरीजों के निशुल्क उपचार पर हर साल करीब साढ़े पांच सौ करोड़ रुपए खर्च किया जाएगा।
इसी तरह एंबुलेंस पर तीन सौ करोड़ खर्च होंगे। एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम वाली 750 एंबुलेंस खरीदी जाएंगी। एंबुलेंस संचालन, प्रशिक्षित स्टाफ के वेतन और प्रशिक्षण पर भी करीब 165 करोड़ रुपए खर्च होंगे। कॉल सेंटर, कमांड सेंटर, सॉफ्टवेयर के संचालन ओर मेंटेनेंस आदि में सालाना 125 करोड़ रुपए खर्च होगा।
चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने बताया कि लाइव इमरजेंसी मॉनिटरिंग सिस्टम को योजनाबद्ध तरीके से प्रदेश में लागू किया जा रहा है। इमरजेंसी में आने वाले मरीजों के लिए 48 घंटे महत्वपूर्ण होते हैं। इस दौरान इलाज में आर्थिक समस्या बाधा नहीं बनेगी। इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को तत्काल निशुल्क सुविधा दी जाएगी।