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गोरखपुर: स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए प्रदेश सरकार की तरफ चलाए जा रहे अभियान फेल हो रहे हैं. इसके पीछे अभियान संचालन की असफलता नहीं, बल्कि प्रदेश में चल रहे तबादलों का प्रभाव है. करीब 10 दिन पहले गोरखपुर जिला अस्पताल से 8 डॉक्टरों का तबादला किया गया है. इनमें से कई डॉक्टर रिलीव हो गए हैं. वहीं शासन से एक डॉक्टर गोरखपुर के लिए भी भेजा गया गया है. उसने अभी तक गोरखपुर आकर चार्ज नहीं लिया है. इसके चलते डॉक्टर के इंतजार में मरीज घंटो आस लगाए बैठे रहते हैं.
जिले भर की बात करें तो कुल 15 डॉक्टर रिलीव किए जा चुके हैं, जो जिले के तमाम सीएचसी और पीएचसी में अपनी सेवाएं दे रहे थे. इसमें जिला अस्पताल से 8 डाक्टर शामिल हैं, जिसमें 3 रिलीव हो चुके हैं. सबसे बड़ी बात यह है सर्दी, जुकाम, बुखार से पीड़ित बच्चों की संख्या जब सबसे ज्यादा होती है. इसी मौसम में बच्चों के ही तीनों डॉक्टरों का तबादला कर दिया गया.
अस्पताल की ओपीडी पूरी तरह भरी पड़ी है और मरीज डॉक्टर के इंतजार में हैं. उन्हें मालूम भी नहीं है कि उनके डॉक्टर का तबादला हो गया है. हालांकि अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ का भी तबादला हो गया है, लेकिन अभी वो अपने पद पर डटे हुए हैं. उन्होने ईटीवी भारत से कहा कि फिलहाल स्वास्थ्य सेवाओं पर कोई असर नहीं पड़ा है. जबकि वास्तविकता यह है कि अस्पताल में मरीज परेशान हैं.
सीएमओ के अंतर्गत स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टरों के कुल 269 पद सृजित हैं. जबकि केवल 155 डॉक्टर ही तैनात हैं. इनमें से 114 पद पहले से ही रिक्त चल रहे थे. ऐसे में 14 डॉक्टरों का तबादला भी कर दिया गया है. मुख्यमंत्री के जिले को लेकर अगर स्वास्थ्य महकमा इस तरह तबादले में लापरवाही बरतता है, तो बाकी जिलों की स्थिति क्या होगी? इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है.
बारिश के न होने पर उमस भरी गर्मी के चलते से अस्पताल में खांसी, जुखाम, बुखार के मरीज पहुंच रहे हैं. पूरे जिले में यह हालत बनी हुई है. ऐसे में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आशुतोष कुमार दुबे ने लोगों से कहा है कि इन बीमारियों को लेकर घबराएं नहीं. नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों पर जाएं, डॉक्टरों से इलाज मिलेगा और जरूरी दवाएं भी दी जाएंगी. उन्होंने कहा है कि जिले में अब सभी प्रकार के संक्रामक रोगों के साथ इंसेफलाइटिस और कोरोना नियंत्रण में है. इसलिए घबराने की कोई जरूरत नहीं है.