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उत्तरप्रदेश | नोएडा प्राधिकरण की तरफ से चार सालों में अलग-अलग काम पर बिना वजह और गलत ढंग से खर्च किए गए 2313 करोड़ रुपये को लेकर लखनऊ में सुनवाई हुई. तीन मामलों में आंतरिक लेखा समिति ने प्राधिकरण अधिकारियों से जवाब मांगा. नोएडा से जुड़े मामले अधिक होने के कारण अब निर्णय लिया गया है कि समिति की उपसमिति बनाई जाएगी, जो नोएडा में ही रहकर सुनवाई करेगी.
स्थानीय निधि लेखा परीक्षा की रिपोर्ट इस साल जुलाई में विधानसभा में रखी गई थी. यह ऑडिट प्राधिकरण के 2012-2016 के बीच अलग-अलग काम पर किए खर्च पर आधारित है. इस रिपोर्ट में 49 मामलों में 2313 करोड़ रुपये के खर्च को अनियमित और गैर जरूरी बताया था.
मामले में पहली बार आंतरिक लेखा समिति ने लखनऊ में सुनवाई की. 25 मामलों का जवाब देने के लिए नोएडा प्राधिकरण के अफसर लखनऊ गए थे लेकिन समिति ने सिर्फ चार आपत्तियों को लेकर सुनवाई की. इनमें तीन आपत्ति नियोजन विभाग और एक आपत्ति नियोजन एवं व्यावसायिक विभाग के काम से जुड़ी थी. अधिकारियों ने बताया कि चार में से जिन दो महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई हुई उनमें पहला सेक्टर-93ए सुपरटेक टिवन टावर के मंजूर हुए नक्शों से संबंधित था और दूसरा, सेक्टर-25ए और 32 में वेब बिल्डर को दी गई जमीन के अधिकांश हिस्से को सरेंडर करने से जुड़ा था.
करीब दो घंटे तक चली बैठक में प्राधिकरण अधिकारियों के जवाब से आंतरिक लेखा समिति के सभापति एवं अन्य सदस्य संतुष्ट नजर नहीं आए. ऐसे में इन आपत्तियों को लेकर कुछ और जानकारी समिति ने अधिकारियों से मांगी है. नोएडा के कामकाज से जुड़ी अधिक आपत्तियां हैं.
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