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बड़ी खबर
बिजनौर। बिजनौर में करवा चौथ की तैयारी धूमधाम के साथ की जा रही है हालांकि कुम्हारों की लिए यह करवा चौथ घाटे का नजर आ रहा है। कुम्हारों का कहना है कि उन्होंने कड़ी मेहनत के बाद मिट्टी के कड़वे और मिट्टी के बर्तन तैयार किये थे और उन्हें बेचने के लिए वह शहर में आए हुए हैं, लेकिन इस आधुनिक युग में अब मिट्टी के बर्तन विलुप्त हो रहे है और लोग अब स्टील और पीतल के करवा खरीद रहे हैं। जिससे उनका कारोबार अब ठप सा हो गया है। इसकी तैयारी बड़ी धूमधाम के साथ की जा रही है। बिजनौर के राम के चौराहे और जेल के सामने मिट्टी से करवा और बर्तनों को बेचा जा रहा है। आधुनिक युग मे मिट्टी के बने दिया की जगह चायनीज रंगीन झालरों ने ले ली है। करवाचौथ पर करवे से चन्द्र देवता को जल अर्पित किया जाता है, लेकिन इनकी भी कुछ खास बिक्री नही हो रही है।
महिलाएं ज्यादातर पीतल, तांबे और स्टील के करवा से जल अर्पित कर त्योहार मना लेती हैं। ऐसे में छोटे व्यापारी कुम्हार जो मिट्टी के बने बर्तनों को बनाकर बाजारों में बेचने का काम करते हैं उनके सामने मिट्टी की बनी वस्तुओं की बिक्री न होने से घर का पालन पोषण करने में काफी दिक्कतें आती हैं। मिट्टी के बर्तन और करवा को बनाकर बेचने का काम करने वाले अनिल कुमार, भूरे कुमार, पवन ,अमित, धर्मवीर सिंह ,सुरेश सिंह, मनीष, विमल,अनिकेत आदि का कहना है कि उनके बाप दादा के टाइम से वह काम करते चले आ रहे हैं। पहले मिट्टी इकट्ठा करते हैं फिर उसको हाथ के चाक से बर्तन और दिए को बनाते हैं। उसको आग में पकाकर, रंग पेंट कर उन्हें बाजारों में बेचने के लिए आए हुए हैं ।लेकिन पिछले 1 हफ्ते से वह करवा और दिया को बेच रहे हैं। करवाचौथ का त्यौहार कल है अभी तक उनकी दुकानदारी बिल्कुल नहीं हो रही है। इक्का-दुक्का ग्राहक आ रहे हैं। जो उनका करवा खरीद रहे हैं। अनिल कुमार का कहना है कि सरकार की तरफ से भी उन्हें इलेक्ट्रॉनिक चाक नहीं दिए गए हैं। वह उन लोगों को दिए गए हैं जो वह इस काम को नहीं जानते हैं। वह सरकार से मिट्टी के काम करने वालों कि मदद की मांग कर रहे हैं।
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