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उत्तर प्रदेश
चाइनीज झालरों के आगे मंद पड़ गई दियों की रोशनी, दो सौ परिवारों पर आया आर्थिक संकट
Admin4
20 Oct 2022 6:25 PM GMT
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चाइनीज झालरों के साथ ही आधुनिक दीपकों की चमक के आगे मिट्टी के दियों की रोशनी फीकी पड़ गई है। कभी विदेशों तक अपनी रोशनी बिखेरने वाले मिट्टी के दिये अब त्योहारों में भी महज रस्म अदायगी तक सिमट कर रह गए हैं। प्रकाश पर्व पर घर के कोने-कोने में जगमगाने वाले मिट्टी के दीपकों का महत्व तेजी से घट रहा है। उनकी जगह स्थान पर अब बिजली की झालरों व मोमबत्तियों ने ली है।
कुम्हारीकला से जुड़े यहां के तकरीबन दो सैकड़ा कुम्हारों के परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। हालांकि सूबे की योगी सरकार के माटीकला बोर्ड से कुम्हार बिरादरी के लोगों की खासी उम्मीदें जगी हैं। दीपावली में मिट्टी के दिए जलाना शुभ होता है, लेकिन आधुनिकता की होड़ में चाइनीज झालरों और मोमबत्ती के आगे देशी दिए की रोशनी दम तोड़ रही है। मिट्टी के दियों और दीपावली पर्व के बीच का रिश्ता कमजोर पड़ता जा रहा है।
मिट्टी के दियों के लिए बत्ती, तेल, घी आदि की झंझटों से बचने को लोग मोमबत्ती व झालरों से दीपावली की रोशनी कर लेते हैं। मिट्टी के दिए अब गरीबों तक ही सीमित होकर रह गये है। दिए बनाने वाले कुम्हारों का कहना है कि अब न तो मिट्टी मिल पाती है और न ही खरीददार ही बचे हैं, ऐसे में उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वहीं मढ़ियानाका के बुजुर्ग रामकुमार बताते हैं कि यहां के मिट्टी के दिए कभी विलायत में भी रोशनी करते थे, लेकिन अब इनको पूछने वाले नहीं है। दीपावली में भी लोग सिर्फ पूजा को दिए लेकर रस्म अदायगी कर रहे हैं।
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