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पशुओं के चारे का संकट, यमुना ने मेहनत डुबोई, मुनाफा दूर लागत भी न बची
न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला
किसानों ने अच्छी आमदनी के लिए कर्ज लेकर यमुना खादर में फसल की बुआई की। उस फसल से आमदनी भले ही कुछ नहीं हुई, लेकिन किसान कर्जदार जरूर बन गए हैं। क्योंकि यमुना का जलस्तर बढ़ने से सब्जी की अधिकतर फसल बर्बाद हो गई तो चारा की काफी फसल भी खराब हो गई है। चारा की कोई फसल बची है तो उसपर मिट्टी की परत जम गई है और वह पशुओं को खिलाने लायक नहीं बची है।
जिले में ऐसे करीब एक हजार से ज्यादा किसान है जो यमुना खादर में हर साल सब्जी की फसल की बुआई करते हैं। क्योंकि यमुना खादर की रेतीली जमीन में सब्जी की फसल की अच्छी पैदावार होती है। इस बार भी किसानों ने अच्छी पैदावार की उम्मीद में सब्जी की फसल की बुआई की, लेकिन उनकी अच्छी पैदावार की उम्मीद पहले ही खत्म हो गई। क्योंकि इस बार यमुना खादर में दो हजार बीघा से अधिक भूमि पर बेबीकॉर्न, लौकी, तौरी, पेठा, मटर आदि की फसल पानी में डूबने से खराब हो गई है।
बागपत के किसान जयकिशन, राजेंद्र, भीम सिंह, सुशील आदि ने बताया कि आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण इस बार लोगों से ब्याज पर कर्जा लेकर खेत में विभिन्न प्रकार की सब्जियों की फसल उगाई थी। जुलाई माह के आखिर में यमुना का जलस्तर बढ़ता चला गया और उनकी पूरी फसल जलमग्न होने से बर्बाद हो गई। जिससे फायदा तो दूर, बल्कि खेती में लगाई गई पूंजी भी खत्म हो गई और कुछ किसान कर्जदार हो गए।
फसल की बुआई करके कर्जदार हो गया
आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण 70 हजार रुपये ब्याज पर कर्ज लेकर फसल बोई थी। लेकिन यमुना का जलस्तर बढने से आठ बीघा लौकी और चार बीघा सीताफल की फसल खराब हो गई। इस बार यमुना खादर की खेती घाटे का सौदा रही, अब कर्ज उतारने की चिंता बढ़ गई है। - बिजेंद्र कश्यप, किसान।
मुनाफा छोड़ो, लागत भी नहीं बची
अच्छे मुनाफे के लिए यमुना खादर में तीन बीघा लौकी व 15 बीघा सीताफल की फसल बोई थी। जिस पर 80 हजार रुपये खर्च किए गए थे। सब्जी की पैदावार शुरू हुई तो एक-दो बार मंडी लेकर गए, लेकिन बाद में जलस्तर बढने से पूरी फसल बेकार हो गई। खेती में मुनाफा तो कुछ नहीं मिला, लेकिन लागत भी डूब गई।
दिलाया जाए खराब फसल का मुआवजा
यमुना नदी में 15 बीघा में सीताफल, 13 बीघा में लौकी व दो बीघा में बेबीकॉर्न की फसल उगाई थी। जलस्तर बढने से फसल खराब हो गई। जिससे किसानों के सामने आर्थिक तंगी के हालात बन गए है। कर्ज उतारने के लिए किसान चिंतित है। जलस्तर बढने से खराब हुई फसल का किसानों को मुआवजा दिलाया जाए। -जयकिशन, किसान।
चारे की फसल पर जम गई मिट्टी की परत
किसान संजय, सुरेंद्र, अजय, सचिन चौहान ने बताया कि खेत में पशुओं के चारे के लिए ज्वार आदि फसल उगाई गई थी। यमुना का जलस्तर बढने से फसल पानी में डूब गई थी। जिसमें से कुछ फसल बर्बाद हो गई और अब जलस्तर कम हुआ तो वे खेत में चारा काटने पहुंचे तो चारे की फसल पर मिट्टी की परत जमी मिली।
यमुना का जलस्तर बढने और कटान होने से जो फसल बर्बाद हुई है। ऐसे फसलों का लेखपाल से सर्वे कराया जाएगा और नुकसान का मुआवजा किसानों को दिया जाएगा।