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आठ रबीउलअव्वल को चुप ताजिये के जुलूस और इमामबाड़ा नाजिम साहब में हुई अलविदाई मजलिस के साथ ही दो महीने आठ दिन का मोहर्रम खत्म हो गया। अलविदाई मजलिस को मौलाना यासूब अब्बास ने खिताब किया।
विक्टोरिया स्ट्रीट स्थित इमामबाड़ा नाजिम साहब में सुबह की नमाज के बाद अलविदाई मजलिस का आयोजन किया गया। इस मजलिस को मौलाना यासूब अब्बास ने खिताब किया। मौलाना ने कर्बला के मैदान में हजरत इमाम हुसैन और उनके दोस्तों और रिश्तेदारों पर यजीदी लश्कर द्वारा किये गए जुल्मों की दास्तान सुनाई। कर्बला के शहीदों पर हुए जुल्मों की दास्तान सुनकर लोग रो पड़े। मजलिस के बाद चुप ताजिये का जुलूस निकाला गया। यह जुलूस विक्टोरिया स्ट्रीट से नक्खास चौराहा, बिलोचपुरा, गिरधारी सिंह इंटर कालेज, मंसूरनगर तिराहा होते हर रौजा-ए-काजमैन पहुंचा। जुलूस के काजमैन पहुंचने के बाद यहां मौलाना मिर्जा एजाज अतहर ने मजलिस को खिताब किया।
चुप ताजिये के जुलूस में हजारों की तादात में नम आंखों के साथ लोगों ने शिरकत की। इस जुलूस की खासियत यह है कि इसमें शामिल लोग खामोशी के साथ ताजिये के साथ-साथ चलते हैं। नौहाख्वानी व सीनाजनी नहीं होती। इसी वजह से इसे चुप ताजिये के नाम से जाना जाता है। चुप ताजिये के साथ अलम और जुलजनाह को भी जुलूस में शामिल किया गया था। चुप ताजिये के जुलूस के दौरान पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये थे। बड़ी तादाद में पुलिस बल, पीएसी, रैपिड एक्शन फ़ोर्स और घुड़सवार पुलिस को जुलूस की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया था।
न्यूज़ क्रेडिट: amritvichar