उत्तर प्रदेश

शिवपाल व अखिलेश का साथ देखकर ओपी राजभर के पेट में मरोड़

Shantanu Roy
11 Dec 2022 10:16 AM GMT
शिवपाल व अखिलेश का साथ देखकर ओपी राजभर के पेट में मरोड़
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यूपी। समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद से मैनपुरी का यादव परिवार एकजुट हो गया है. मैनपुरी उपचुनाव में शिवपाल यादव और सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने सारे मतभेद भुला दिए और समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी डिंपल यादव के लिए साथ मिलकर वोट मांगते नजर आए. मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में डिंपल यादव को ऐतिहासिक जीत मिली है. इस बीच, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के चीफ ओम प्रकाश राजभर ने शिवपाल और अखिलेश यादव के साथ आने पर तंज कसा है. ओपी राजभर ने कहा कि प्रसपा और सपा के मिलने से अखिलेश की पार्टी को कोई फायदा नहीं होगा.
मैनपुरी उपचुनाव में कैसे मिली जीत?
ओम प्रकाश राजभर ने मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में सपा की रिकॉर्डतोड़ जीत पर कहा कि पार्टी को मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद पैदा हुई सहानुभूति का फायदा मिला. शिवपाल यादव की पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया और सपा के एक होने से उनकी पार्टी को कुछ हासिल नहीं होगा. इस बयान से SBSP चीफ ने 2024 के लोकसभा चुनाव की ओर भी इशारा किया. हाल ही में मैनपुरी में लोकसभा उपचुनाव संपन्न हुए हैं, जिसमें समाजवादी पार्टी का प्रदर्शन अच्छा रहा है. मैनपुरी में जीत के बाद अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव ने अपनी पार्टी पीएसपी का विलय सपा में कर दिया. डिंपल यादव ने मैनपुरी उपचुनाव में 2 लाख 88 हजार से ज्यादा वोटों से बीजेपी के उम्मीदवार रघुराज सिंह शाक्य को हरा दिया.
ओपी राजभर ने यूपी विधानसभा चुनाव को याद दिलाते हुए कहा कि तब अखिलेश यादव और शिवपाल यादव साथ मिलकर चुनाव लड़े थे, दोनों लोग पहले से ही एक-दूसरे के साथ हैं. उन्होंने आगे कहा कि लोकसभा चुनाव 2019 में मैनपुरी से जब मुलायम सिंह यादव लड़े थे तब सपा और बीएसपी साथ थे. तब 95 हजार वोटों से जीते थे. लेकिन डिंपल यादव 2 लाख 88 हजार से अधिक वोटों से जीतीं, साफ है कि सहानुभूति की लहर से बड़ी जीत मिली. राजभर ने कहा कि मैनपुरी उपचुनाव में मुस्लिम समुदाय ने सपा को सपोर्ट किया तो सपा गई, पर रामपुर में यादव समाज के लोगों ने बीजेपी को वोट दिया तो रामपुर में गैर मुस्लिम की जीत हुई. जान लें कि राजभर की पार्टी ने यूपी विधानसभा चुनाव 2022 सपा के साथ मिलकर लड़ा था और 6 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी, लेकिन राष्ट्रपति चुनाव के दौरान सपा-एसबीएसपी का गठबंधन टूट गया था.
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