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उत्तरप्रदेश। नौकरी के नाम पर देश के 50 हजार से अधिक लोगों से ठगी करने वाले जफर की तलाश ओडिशा ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध शाखा) को ढाई माह से थी. सितंबर माह में भी टीम अलीगढ़ आई थी. मगर, उस वक्त उनके हाथ सिर्फ मोबाइल मिस्त्रत्त्ी ही लगा था. टीम ने फिर ढाई माह तक उसे ट्रेस किया और आखिर सफलता हाथ लग ही गई.
अब लोकल पुलिस इस मामले में अपने स्तर से यह जानकारी जुटा रही है कि आखिर जफर के साथ उसके कॉल सेंटर में काम करने वाले जमालपुर के कौन-कौन युवक थे. नौकरी के नाम पर ठगी करने वाले जफर के गिरोह में आधा दर्जन से अधिक शातिर थे. उन सभी की पहले ही अलग-अलग स्थानों से गिरफ्तारी हो गई थी. ओडिशा पुलिस व ईओडब्ल्यू की टीम जफर को ट्रेस करने में लगी हुई थी. ईओडब्ल्यू को इस दौरान कड़ी मशक्कत भी करनी पड़ी. दरअसल, जफर इस प्रकार शातिर था कि वह ठगी के लिए इस्तेमाल होने वाली मोबाइल सिम के साथ अपना भी नंबर बहुत जल्द बदल देता था. परिवार वालों से भी वह एक नंबर से बात नहीं करता था.
जफर अहमद पुत्र रज्जाक अहमद निवासी गोल मार्केट, सिविल लाइंस ने कोविड काल में बेरोजगार हुए लोगों को नौकरी का झांसा देकर जाल में फंसाया. पुलिस को अंदेशा है कि ढाई माह पहले क्वार्सी क्षेत्र में पकड़ा गया मोबाइल मिस्त्रत्त्ी युसूफ उर्फ मोनू भी इसी गिरोह का सदस्य था. मगर, उसकी गिरफ्तारी के समय यह राजफाश नहीं हो पाया. जफर अहमद के विषय में अलीगढ़ पुलिस की पड़ताल में सामने आया है कि उसके खिलाफ अलीगढ़ में कोई मुकदमा दर्ज नहीं है. यहां वह अपने कारनामे की पड़ोसियों तक को भनक नहीं होने देता था.
नौकरी के नाम पर ठगी का मुख्य सेंटर नोएडा में
जफर व उसके साथी बेहद शातिर हैं. इन्होंने ठग नेटवर्क का मुख्य ऑफिस नोएडा में बना रखा था. इसके बाद इनका सीधा प्लान यह रहता था कि वह एक-एक कर राज्यों को ठगी के लिए चिन्हित करते थे, जिस राज्य में नौकरी के लिए आवेदन छपवाते थे. उसके अलग-अलग शहरों में किराए के भवनों में कार्यालय संचालित करने लगते थे. उन कार्यालयों में अपने भरोसेमंद साथियों की तैनाती करते थे. जब ठगी का टारगेट पूरा हो जाता तो किराए के भवन में संचालित कार्यालय को खाली कर फरार हो जाते थे.
जफर अहमद का कोई भी आपराधिक इतिहास अलीगढ़ पुलिस के रिकॉर्ड में नहीं है. ईओडब्ल्यू ओडिशा द्वारा अगर कोई अन्य जानकारी व सहयोग मांगा जाएगा तो उनकी मदद की जाएगी.
-शिव प्रताप सिंह, सीओ सिविल लाइंस
Admin4
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