उत्तर प्रदेश

सरयू खतरे के निशान से 80 सेंटीमीटर ऊपर, जल मग्न हुए 45 गांव

Admin4
19 Sep 2022 5:02 PM GMT
सरयू खतरे के निशान से 80 सेंटीमीटर ऊपर, जल मग्न हुए 45 गांव
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विभिन्न बैराजों से छोड़े गए लाखों क्यूसेक पानी की चलते खतरे के निशान से 80 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। जिससे जिले भर के सरयू की तलहटी में बसे गावों में दहशत का माहौल है। अबतक नदी के पानी से जिले के तीन दर्जन से अधिक गांव चपेट में है। अगर नदी का जलस्तर लगातार बढ़ता रहा तो रेलवे ट्रैक को भी नुकसान पहुंचा सकता है।

जिसकी वजह से तराई में रहने वाले लोगों को मुश्किल भरी जिंदगी गुजारनी पड़़ रही हैं। तहसील रामनगर के कोरिन पुरवा गांव के लोगों ने बताया कि घाघरा नदी 2 किलोमीटर दूर थी। जो कि लगातार हो रही नदी की कटान से उनके गांव के करीब पहुंच गयी है। अब गांव में पानी प्रवेश कर गया है। जिससे लोगों को आवागमन में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

वर्तमान में नदी का जलस्तर 106.856 है। जोकि खतरे के निशान से 80 सेंटीमीटर ऊपर है। नदी के लगातार बढ़ते जलस्तर को देखते हुए प्रशासन की ओर से अलर्ट जारी किया गया है। वहीं ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन की ओर से उन्हें कोई भी मदद नहीं दी जा रही है। जिले की तीन तहसीलें रामनगर,सिरौलीगौसपुर और रामसनेहीघाट इन दिनों बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित है।

जिसमें तहसील रामनगर के सूरतगंज विकासखंड बेहटा, कुड़ीन, कुसौरा समेत तीन गांव पूरी तरह से जलमग्न हो गए हैं। यहां ग्रामीणों का पलायन तेज हो गया है। यही हाल सिरौलीगौसपुर तहसील का है। जहां अलीनगर रानी मऊ बांध और पानी में डूब चुके भैया पुरवा, कोठी दिया, सिरौलीगुंग, सनावा आदि गांव का निरीक्षण एसडीएम प्रिया सिंह व तहसीलदार सुरेंद्र कुमार ने किया। इस दौरान एसडीएम ने नांव से लोगों के घरों तक पहुंचकर उनका हालचाल जाना और मदद का आश्वासन दिया।

माथे पर चिंता की लकीरें

घाघरा नदी सबसे अधिक रामनगर तहसील के कोरिन पुरवा गांव निवासियों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ झलक रही है। उनका आरोप है कि के गांव में बाढ़ का पानी आ गया है। लेकिन तहसील प्रशासन ने अभी तक उनकी कोई मदद नहीं की है। गांव बाढ़ के पानी से पूरी तरह घिर गया है।

अब यहां के लोग तेजी से पलायन कर रहे है। उनकी फ़सल डूब कर पूरी तरह से नष्ट हो गई है। उनके खाने-पीने तक के लाले हैं। यहां लोग दैनिक मजदूरी के सहारे परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं। सूरतगंज के करमुल्लापुर ग्राम प्रधान सुरेश चंद यादव ने एडीओ पंचायत सूरतगंज से तत्काल ग्रामीणों के आवागमन के लिए नांव की मांग की है।

मवेशियों के लिए चारे का संकट

घाघरा की तलहटी में बसे गांव में सबसे ज्यादा दिक्क़ते ग्रामीणों को मवेशियों के चारे की दिक्क़त हो रही है। गांव के चारों तरफ पानी होने के चलते उन्हें मवेशियों को नांव के माध्यम से गांव से कई किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। ग्रामीणों का आरोप है कि तहसील प्रशासन को इन बेज़ुबानों का दर्द नहीं दिखता। जबकि बिझला गांव के ननकउ पुत्र अशरफी की भैंस चारे की तलाश में पानी में डूबकर मर गई है।

मदद के लिए आगे नहीं आया प्रशासन

अचानक पानी बढ़ने से ग्रामीणों के समक्ष उत्पन्न हुए खाने-पीने और पशुओं के चारे के संकट के प्रति जिला प्रशासन अभी उदासीन है। लोगों के आवागमन के लिए ना में भी नहीं लगाई गई हैं। तहसील स्तरीय अधिकारियों ने स्थिति का जायजा लिया है।

न्यूज़ क्रेडिट: amritvichar

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