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बड़ी खबर
लखनऊ। एक तरफ आये दिन यह चर्चा चलती रहती है कि यूपी रोडवेज के 75 फीसद बस बेड़े को अनुबंधित बस सेवाओं से कवर कर दिया जायेगा और बाकी शेष 25 फीसद बसें परिवहन निगम खुद अपनी संचालित करेगा। लेकिन केवल आर्थिक दृष्टि के मद्देनजर निजी अनुबंधित बस सेवाओं के ऊपर अपने बेडे का इतना बड़ा भाग छोड़ देना कहां तक उचित है, इसकी बानगी बुधवार देर रात सामने आई एक घटना से समझ आ रही। दरअसल, हुआ यह कि चारबाग बस स्टेशन से कुछ ही मीटर की दूरी पर रोडवेज का अनुबंधित बस चालक नाका पुलिस के हाथों गांजे के साथ धरा गया। वहीं इस मुद्दे को लेकर जब गुरूवार को चारबाग बस स्टेशन के बीएसएम मनोज श्रीवास्तव से बात की गई तो उनका कहना रहा कि उक्त अनुबंधित बस साधारण थी और वो आलमबाग डिपो की थी।
साथ ही कहा कि बस स्टेशन परिसर में बस नहीं खड़ी थी, वो दुर्गापुरी मेट्रो स्टेशन के निकट खड़ी थी जहां पर अनुबंधित बस चालक ऐसी हालत में पकड़ा गया। इस घटना को लेकर जब आलमबाग डिपो का बतौर एआरएम कार्यभार देख रहे टीएस बलराज के मोबाइल नंबर पर संपर्क किया गया तो उनका फोन बंद रहा। ऐसे में सार्वजनिक परिवहन सेवा से जुड़े जानकारों से इस बाबत बात की गई तो उनका यही कहना रहा कि रोडवेज की स्थापना केवल लाभ-हानि के दृष्टिगत नहीं की गई थी, बल्कि हमेशा से यह भी मंशा यही रही है कि इसमें सफर करने वाले हर वर्ग के यात्रियों को किफायती किराया और सुरक्षित रखते हुए उनके गंतव्य तक पहुंचाया जा सकता है। जबकि यहां पर अनुबंधित बस चालक जब ऐसी स्थिति में पाये जा रहे तो आगे क्या कहा जाये।
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