उत्तर प्रदेश

पुलिस फिर भी नहीं तलाश पाई, ड्यूटी पर घोटालेबाज सचिव

Admin4
10 Sep 2022 4:12 PM GMT
पुलिस फिर भी नहीं तलाश पाई, ड्यूटी पर घोटालेबाज सचिव
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11 साल पुराने धोखाधड़ी के मामले में एक पंचायत सचिव का न्यायालय से गैर जमानती वारंट जारी हो गया। इसे तामील कराने के लिए पुलिस को भेजा गया, लेकिन पीलीभीत पुलिस को सचिव मिल ही नहीं पा रहा। हास्यास्पद बात यह है कि सचिव खुलकर नौकरी भी कर रहा है और दरोगा जी तमाम कोशिशों के बाद भी उन्हें तलाश नहीं पाए। यह मामला उजागर होने पर अब पुलिस की फजीहत का सबब बना हुआ है।

ग्राम पंचायतों में विकास के नाम पर सरकारी धन का बंदरबांट करते हुए गबन करना कोई नई बात नहीं है। ऐसे ही कई मामले आए दिन सामने आ रहे हैं। हाल ही में बसंतापुर मामले में चकरोड बनाने के नाम पर लाखों का बड़ा घोटाला सामने आया था। वहीं, अमरिया की एक ग्राम पंचायत में रोजगार सेवक का लाखों का खेल भी पकड़ा गया। इन दोनों मामलों की फजीहत के बाद प्रशासनिक स्तर से कार्रवाई को गति देते हुए रिपोर्ट दर्ज करा दी गई। इसकी विवेचना अभी चल रही है।

बता दें कि वर्ष 2011 में चिड़ियादाह, गौहनिया ग्राम पंचायत में विकार्य में घोटाला किया गया था। इसकी शिकायतों के बाद जांच कराई और फिर करीब 1,92,500 रुपये का गबन निकलकर सामने आया। इस मामले में वर्तमान में मरौरी ब्लॉक क्षेत्र में तैनात सचिव समेत अन्य पर धारा 420, 406, 409 आईपीसी के तहत रिपोर्ट दर्ज की गई थी। इस मामले में आरोपी पंचायत सचिव का न्यायालय से गैर जमानती वांरट जारी किया गया। इसके अलावा अन्य आरोपियों के जमानती वारंट जारी किए गए।

एक माह से अधिक समय बीतने के बाद भी पुलिस इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं कर सकी है। खास बात है कि सचिव ड्यूटी भी कर रहा है। सरकारी क्वार्टर में रहता है। उसके बावजूद पुलिस को नहीं मिल पाता। दरोगा जी ने गैर जमानती वारंट मिलने पर इस मामले में अपनी ओर से दी गई रिपोर्ट में इस बात का खुलकर जिक्र भी कर दिया है। जिसके बाद इसे भी साठगांठ से जोड़कर देखा जा रहा है।

…तो कर दिया धाराओं का खेल

अभी कुछ दिन पहले ही अमरिया ब्लॉक क्षेत्र के एक रोजगार सेवक के खिलाफ कार्यों में गड़बड़ी करने पर धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज की गई थी। संपूर्ण समाधान दिवस में मिली शिकायत पर जांच कराए जाने पर उसकी मुश्किल बढ़ गई थी। अब इस मामले में एक शिकायत की गई है। आरोप है कि घोटाले के चर्चित मामले में धाराओं का खेल कर दिया गया। आईपीसी की धारा 409 शामिल ही नहीं की गई। उसके बाद उसे कच्ची जमानत भी दे दी गई है। इसकी जांच कराकर कार्रवाई की मांग की है।


न्यूज़ क्रेडिट: अमृतविचार

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