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गोशालाओं में चारे की व्यवस्था अब ग्राम पंचायतें अब राज्य वित्त आयोगी 15 फीसदी धनराशि से करेंगी। हालांकि पहले अपर मुख्य सचिव पशुधन एवं मत्स्य विभाग डॉ.रजनीश दुबे ने राज्य वित्त आयोग गाेशालाओं में मूलभूत सुविधाएं जुटाने के निर्देश दिए थे। लेकिन अब शासनादेश में सिर्फ चारे की व्यवस्था की बात कही गई है। ऐसे में डीपीआरओ ने गोशालाओं से गोवंश के लिए चारे की डिमांड मुहैया कराने को कहा है।
जिले में बढ़ते लंपी वायरस के मामले और सीएम योगी आदित्यनाथ के दौरे से पहले व्यवस्थाओं का जायजा लेने दो सितंबर को पहुंचे अपर मुख्य सचिव पशुधन एवं मत्स्य विभाग ने राज्य वित्त आयोग की धनराशि से 15 प्रतिशत धनराशि गाेशालाओं में मूलभूत सुविधाओं पर खर्च करने के निर्देश दिए थे। ताकि पशुओं के लिए आहार, औषधी जैसी जरूरत की सामग्री उपलब्ध कराई जा सकें। जिले में नौ गोशालाएं है। इनमें 1794 गोवंश हैं। इसके अलावा पशुपालन विभाग में एक लाख 76 हजार गोवंश पंजीकृत है।
आहार की व्यवस्था- आठ से दस किलो चारा प्रति गाय को देना है। जिसमें गेहूं का भूसा या अन्य कोई भी सूखा चारा भी शामिल किया जाता है।
आवास व्यवस्था-100 गाय के लिए 50×30 यानी 1500 स्क्वायर फीट का कवर एरिया होगा। एक जानवर पर 15 स्क्वायर फीट स्थान का मानक रखा गया है।
शुद्ध वातावरण- कवरसेट के अलावा खुला मैदान होना चाहिए। जिसमें गाय ताजी हवा ले सकें। फर्श खुरदुरा होना चाहिए ताकि किसी प्रकार का संक्रमण न होने पाए।
पीने का शुद्ध पानी- एक गाय को रोज 75 से 80 लीटर पानी की जरूरत होती है। जिसके लिए बड़ी साइज की पानी की टंकी व नांद बनाने की जरूरत होती है।
कृमिनाशक दवा- बरसात से पहले व बाद में संक्रमण से बचाव के लिए कृमिनाशक दवा देना भी जरूरी है। यह जिम्मेदारी पशु चिकित्सा विभाग की है।
जिलाधिकारी द्वारा सभी खंड विकास अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि उस क्षेत्र की संबंधित गोशाला में चारा व अन्य मूलभूत सुविधाओं पर कितनी धनराशि की आवश्यकता होगी। सभी बीडीओ से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी गई है। -डॉ. अनिल कंसल, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी
शासनेदश के अनुसार ग्राम प्रधानों को निर्देशित किया गया है संबंधित गोशालाओं में चारे की आवश्यकता के अनुसार उपलब्धता सुनिश्चित करें। शासनादेश में राज्य वित्त की धनराशि से चारा मुहैया कराए जाने के निर्देश हैं।
न्यूज़क्रेडिट: अमृतविचार