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उत्तर प्रदेश
वादी की मृत्यु के पश्चात याचिका में कोई नहीं बनाया गया पक्षकार
Admin4
21 Dec 2022 6:18 PM GMT
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लखनऊ। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा उर्फ टेनी के खिलाफ प्रभात गुप्ता हत्याकांड मामले में दाखिल मृतक के पिता संतोष गुप्ता की पुनरीक्षण याचिका में तकनीकी पेंच फंस गया है। संतोष गुप्ता की मृत्यु वर्ष 2005 में ही हो चुकी है, बावजूद इसके उक्त याचिका में उनके स्थान पर किसी भी कानूनी वारिस ने खुद को पक्षकार बनाए जाने के लिए प्रार्थना पत्र दाखिल नहीं किया। इस स्थिति को देखते हुए, न्यायालाय ने मामले की अगली सुनवाई जनवरी के तीसरे सप्ताह में तय करते हुए, आदेश दिया है कि संतोष गुप्ता की पुनरीक्षण याचिका में उनका कानूनी वारिस चाहे तो प्रार्थना पत्र दाखिल कर सकता है। न्यायालय ने प्रार्थना पत्र के साथ ही वकालतनामा भी दाखिल करने को कहा है।
यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा व न्यायमूर्ति रेणु अग्रवाल की खंडपीठ ने पारित किया। दरअसल राज्य सरकार की अपील व संतोष गुप्ता की पुनरीक्षण याचिका पर एक साथ सुनवाई के पश्चात मामले में 10 नवम्बर को सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया गया था लेकिन 11 नवम्बर को एक प्रार्थना पत्र संतोष गुप्ता के पुत्र राजीव गुप्ता की ओर से दाखिल किया गया जिसमें कहा गया कि वह संतोष गुप्ता के पुत्र हैं और मामले की बहस के दौरान उनके वरिष्ठ अधिवक्ता ज्योतिन्द्र मिश्रा तबीयत खराब होने के कारण बहस के लिए उपस्थित नहीं हो सके लिहाजा उनकी ओर से लिखित बहस को रिकॉर्ड पर लिया जाए। हालांकि न्यायालय ने उक्त प्रार्थना पत्र को 15 नवम्बर को खारिज कर दिया।
बुधवार को सुनवाई के दौरान न्यायालय ने संतोष गुप्ता के अधिवक्ता सुशील कुमार सिंह से पूछा कि क्या संतोष गुप्ता जीवित है, इस पर अधिवक्ता ने बताया कि 20 जुलाई 2005 को ही हो गई थी। इस पर न्यायालय ने कहा कि उसके कानूनी वारिस की ओर से याचिका को बनाए रखने के लिए न तो कोई प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया है और न ही किसी को अधिवक्ता नियुक्त किया गया है। इन टिप्पणियों के साथ न्यायालय ने यथोचित प्रार्थना पत्र दाखिल करने के लिए समय प्रदान किया।
Admin4
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