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- मुर्तजा शंकर को अपना...
d50 साल पहले नि:संतान मुर्तजा हुसैन ने शंकर लाल कश्यप को बेटे सा प्यार दिया। रहना, खाना-पीना सब साथ हुआ। रविवार की रात मरहूम मुर्तजा की बेगम शायरा बानो (82) का इंतकाल शंकर लाल के बेटों की गोद हुआ। सोमवार को बेगम सायरा बानों का जनाजा भी उनके इन्हीं हिन्दू पौत्र लेकर निकले और मुस्लिम रीति-रिवाज से शव को कब्रिस्तान में सुपुर्दे खाक किया।
अलग मजहब होने के बावजूद रिश्तों की पवित्रता की यह सच्ची कहानी मनिहारी की है। मुर्तजा हुसैन और शंकर लाल के परिवारीजन ऐसे रिश्ते की मिसाल बन चुके हैं। इस पवित्र रिश्ते कहानी सिर्फ इतनी भर नहीं है। 30 साल पहले जब मुर्तजा हुसैन का इंतकाल होने पर शंकर लाल ने ही उन्हें सुपुर्दे खाक किया था। इसके बाद शंकर अपनी चाची शायरा बानो को घर ले आए।
दोनों परिवारों में दिल के रिश्ते मजबूत रहे
करीब 25 वर्ष पूर्व शंकर लाल भी चल बसे। लेकिन दोनों परिवारों में दिल के रिश्ते मजबूत बने रहे। शंकर के बेटों अनिल बाथम, मनोज, सुनील, निरोज, बेटियों अनीता, ममता, पदमश्री ने शायरा बानों को सिर आंखों पर बैठाया। घर की सभी बहुएं उनका बेहद ख्याल रखती थीं। रविवार रात जब शायरा बानो का इंतकाल होने पर बहुएं व बेटियां दहाड़ें मारकर रो रही थीं।