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प्रतापगढ़ के कुंडा से बाहुबली विधायक रघुराजप्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के पिता उदय प्रताप सिंह एक बार फिर सुर्खियों में हैं. उ
प्रतापगढ़ के कुंडा से बाहुबली विधायक रघुराजप्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के पिता उदय प्रताप सिंह एक बार फिर सुर्खियों में हैं. उदय प्रताप सिंह विवादों में रहने के कारण क्षेत्र में चर्चा में बने रहते हैं. इस बार उदय प्रताप सिंह शेखपुरा गांव में धरने पर बैठ गए हैं. पूरा मामला समुदाय विशेष द्वारा मोहर्रम के लिए लगाए गेट को लेकर है. दरअसल शेखपुरा गांव जाने वाली सड़क पर समुदाय विशेष के लोगों ने मोहर्रम का एक गेट बोर्ड लगा दिया है, जिसे हटवाने को लेकर उदय प्रताप धरने पर बैठ गए हैं.
गेट हटाने को लेकर उदय प्रताप सिंह सुबह 10 बजे से कुंडा तहसील में धरने पर बैठे हुए हैं. उन्होंने कहा कि जब तक गेट नहीं हटाया जाएगा तब तक वो धरने पर बैठे रहेंगे जिसके बाद पुलिस प्रशासन में हड़कंप मच गया है. आपको बता दें कि उदय प्रताप सिंह का विवादों से पुराना नाता रहा है. आज आपको इनके जीवन के प्रमुख विवादों के बारे में बताते हैं.
जेल तक जाना पड़ा था
प्रतापगढ़ जिले से 65 किलो मीटर दूर भदरी महल के नरेश उदय प्रताप सिंह का विवादों से गहरा नाता रहा है, भदरी नरेश उदय प्रताप सिंह अपने कई निर्णय और कामों को लेकर हमेशा ही सुर्खियों में रहते हैं. 2003 में निर्दलीय विधायक और उदय प्रताप के पुत्र राजा भैया पर बसपा शासन काल में कई मुकदमे और पोटा तक कार्रवाई की गई थी, जिसकी आंच उनके पिता राजा उदय प्रताप सिंह तक भी पहुंची. उनके ऊपर बसपा शासन काल मे कई मुकदमे दर्ज किये गए थे. राजा उदय प्रताप को बसपा शासन काल में कई महीनों तक जेल में भी रहना पड़ा था. हालांकि उनके ऊपर की गई इस कार्रवाई को राजनीतिक रूप से प्रेरित कार्रवाई बताया गया. 2007 में बसपा की सरकार जाने के बाद उदय प्रताप सिंह पर कोई मुकदमा दर्ज नहीं हुआ.
मुहर्रम विवाद 2014
साल 2014 में राजा भैया के पिता भदरी नरेश उस वक्त फिर सुर्खियों में आए थे जब मुहर्रम और हनुमान मंदिर में भंडारे को लेकर मामला गरम हो उठा था. कुंडा के शेखपुर गांव में ही मुहर्रम और हनुमान मंदिर पर एक साथ भण्डारा होने को लेकर मामला गर्म हो गया था. इसके बाद 2015 में मुस्लिम समुदाय के लोगो ने मुहर्रम के दिन ताजिया ना उठा कर जमकर विरोध किया. जिसके बाद प्रशासन ने 2016 में सुरक्षा की दृष्टि से हनुमान मंदिर पर भंडारे की अनुमति नहीं दी. तब राजा उदय प्रताप सिंह और प्रशासन के बीच रार ठन गई थी. जिसके बाद 2016 से 2018 तक प्रशासन ने राजा उदय प्रताप और उनके समर्थकों को नजर बंद तक कर दिया था.
मुहर्रम आते ही सुर्खियों में क्यों आ जाते हैं उदय प्रताप सिंह?
दरअसल, 2013 में कुंडा के शेखपुर गांव में मुहर्रम के दिन एक बंदर की मौत हो गई. जिसके बाद उसी गांव के हनुमान मंदिर पर राजा उदय प्रताप और उनके समर्थक रामचरित मानस का पाठ और भंडारा करने लगे. मंदिर सड़क के किनारे है और मुहर्रम के दिन उसी रास्ते से मुहर्रम का जुलूस निकलता है. जिससे दूसरे समुदाय के लोगों को इसको लेकर आपत्ति थी. जिसके बाद विवाद बढ़ता चला गया. दो समुदायों के बीच के बीच बढ़ते विवाद को देखते हुए प्रशासन ने 2016 से मुहर्रम के दिन भंडारा करने की अनुमति देना बन्द कर दिया था. जिसको लेकर राजा उदय प्रताप और प्रशासन में हमेशा ठनी रहती है. राजा उदय प्रताप मुहर्रम के दिन भण्डारा करने पर अड़े रहते हैं. जिसके कारण मुहर्रम नजदीक आते ही वो फिर चर्चा में आ जाते हैं.
नूपुर शर्मा के बयान का किया था समर्थन
हाल ही में उदय प्रताप सिंह नूपुर शर्मा के बयान का खुलकर समर्थन कर फिर सुर्खियां बटोरी थी. गौरतलब है कि कुछ महीने पहले नूपुर शर्मा के एक बयान के बाद देशभर में एक समुदाय उनका विरोध कर रहा था. अपने बयान को लेकर नूपुर शर्मा चारों तरफ से घिर गई थी. तब भी राजा उदय प्रताप ने ट्वीट के जरिये उनका समर्थन कर इलाके का माहौल गर्म कर दिया था. उदय प्रताप सिंह ने नूपुर शर्मा का समर्थन कर अपने हिंदूवादी छवि को फिर से साफ कर दिया था. फिलहाल राजा भैया मुहर्रम का गेट हटाए जाने को लेकर सुर्खियों में बने हुए हैं. उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि गेट हटने तक उनका धरना जारी रहेगा उजागर होने के बाद मेरठ के थाना लालकुर्ती पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. आरोपी के पास से महंगे मोबाइल लैपटॉप और लोगों के एडिटेड कागजात मिले हैं. फिलहाल पुलिस आरोपी पर केस दर्ज कर अग्रिम विधिक कार्रवाई कर रही है
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