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उत्तर प्रदेश
मैनपुरी लोकसभा सीट : 1957 के चुनाव में एक उम्मीदवार के हिस्से में नहीं पड़ा था एक भी वोट
Shantanu Roy
5 Dec 2022 12:13 PM GMT
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बड़ी खबर
लखनऊ। ढाई दशक से अधिक समय से समाजवादी पार्टी का गढ़ रहे मैनपुरी संसदीय सीट पर दशकों पहले हुए एक चुनाव में एक उम्मीदवार के खाते में कोई वोट नहीं पड़ा था, यहां तक कि उसे अपना वोट भी नहीं नसीब हुआ था। यह वाकया 1957 के आम चुनावों का है जब निर्दलीय उम्मीदवार शंकर लाल को दूसरों का तो छोड़ों अपना वोट भी नहीं मिल पाया था क्योंकि गिनती के दौरान उसे अमान्य करार दे दिया गया था। भारत निर्वाचन आयोग के रिकॉर्ड के अनुसार, उस चुनाव में छह उम्मीदवार मैदान में थे... प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के बंसीदास धनगर, बादशाह (कांग्रेस), जगदीश सिंह (अखिल भारतीय जनसंघ) और निर्दलीय उम्मीदवार शंकर लाल, मणि राम और पुत्तू सिंह। प्रजा सोशलिस्ट पार्टी (पीएसपी) के बंसीदास धनगर को चुनाव में पड़े कुल 1,96,750 मतों में से 59,902 मत (30.45 प्रतिशत) मिले और वह विजेता घोषित हुए। वहीं, कांग्रेस के बादशाह 56,072 मतों (28.50 प्रतिशत) के साथ दूसरे नंबर पर रहे।
अखिल भारतीय भारतीय जनसंघ के जगदीश सिंह को 46,627 मत (23.70 प्रतिशत) मिले। निर्दलीय उम्मीदवारों मणिराम और पुट्टू सिंह को क्रमश: 17,972 (9.13 फीसदी) और 16,177 (8.22 फीसदी) वोट मिले। वहीं, अंतिम स्थान पर रहे शंकर लाल को 'शून्य' वोट (कोई वोट नहीं) मिले थे। भारत निर्वाचन आयोग के अनुसार, 1957 में मैनपुरी लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कुल मिलाकर 3.93 लाख से अधिक मतदाता (3,93,180) थे, जिनमें से 50 प्रतिशत से कुछ अधिक ने अपने अधिकार का उपयोग किया। गौरतलब है कि अक्टूबर में मुलायम सिंह यादव के निधन के कारण मैनपुरी सीट रिक्त हो गई थी, और आज वहां उपचुनाव हो रहा है। मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में मुलायम सिंह यादव की बड़ी बहू और सपा मुखिया अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव मैदान में हैं। वहीं, भाजपा की तरफ से रघुराज सिंह शाक्य चुनाव लड़ रहे हैं। शाक्य कभी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के मुखिया और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिंह यादव के करीबी सहयोगी थे। इस साल के शुरू में उन्होंने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा का दामन थाम लिया था।
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