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न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला
नंदगांव में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी सहित अन्य त्योहार खुर गिनती रीति से मनाए जाते हैं। इसके चलते कई बार नंदभवन में जन्माष्टमी अलग तारीख को हो जाती है। इस बार 20 अगस्त को जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा, जबकि ब्रज के अन्य मंदिरों में जन्माष्टमी 19 अगस्त को है।
मथुरा के नंदगांव की नंदीश्वर पहाड़ी स्थित विश्व प्रसिद्ध नंदबाबा मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 20 अगस्त को मनाया जाएगा। ब्रज के अधिकांश मंदिरों में कन्हैया 19 अगस्त को जन्म लेंगे, लेकिन नंदगांव में कान्हा 20 अगस्त को जन्मेंगे। अलग-अलग दिन जन्माष्टमी का पर्व होने का कारण खुर गिनती है।
नंदगांव में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी सहित अन्य त्योहार खुर गिनती रीति से मनाए जाते हैं। इसके चलते कई बार नंदभवन में जन्माष्टमी अलग तारीख को हो जाती है। अन्य स्थानों से मेल नहीं खाती। नंदगांव में प्रचलित रीति के अनुसार रक्षाबंधन के ठीक आठ दिन बाद ही श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है।
यदि कोई तिथि क्षय होती है या बढ़ती है तो अन्य स्थानों पर जन्माष्टमी की तिथि बदल जाती है, जबकि नंदगांव में जन्माटष्मी की तिथि नहीं बदलती है। उसे रक्षाबंधन के आठ दिन बाद ही मनाया जाता है। अन्य कई त्योहार भी खुर गिनती रीति से ही निर्धारित किए जाते हैं।
नवमी को मनाया जाता है जन्मोत्सव
जन्मोत्सव के अगले दिन नवमी को नंदगांव में श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन नंदगांव-बरसाना के गोस्वामीजनों द्वारा संयुक्त समाज गायन, दधि कांधों, शंकर लीला, मल्ल युद्ध, बांस बधाई आदि का आयोजन नंदभवन में किया जाता है।
अष्टमी की रात में भजन संध्या के साथ-साथ श्रीकृष्ण के कुल का बखान ढांड़ी-ढांड़न लीला द्वारा किया जाता है। श्री नंदराय महाराज नंदबाबा मंदिर सेवा समिति के अध्यक्ष डॉ. भुवनेश गोस्वामी ने बताया कि नंदगांव में जन्माष्टमी 20 अगस्त को तथा 21 अगस्त को नंदोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा।
नौ वर्ष तक नंदगांव में रहे थे श्रीकृष्ण
मान्यता है कि मथुरा जेल में जन्म के बाद श्रीकृष्ण को गोकुल ले जाया गया। कंस के भय के चलते नंदीश्वर पर्वत को सुरक्षित स्थान मान नंद बाबा सपरिवार नंदगांव आकर बस गए। यहां श्रीकृष्ण नौ साल तक रहे। मान्यता है कि कंस के भय के चलते नंदबाबा ने श्रीकृष्ण जन्मोत्सव भी नंदगांव में ही मनाया। इस दौरान विभिन्न देवी-देवता भी अलग-अलग रूपों में नंदगांव आए। इनका प्रमाण नंदबाबा मंदिर की समाज श्रृंखला एवं अन्य धार्मिक पुस्तकों में मिलता है।