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जमीयत उलेमा-ए-हिंद समान नागरिक संहिता (यूसीसी) मुद्दे पर शांति और एकता के लिए शुक्रवार को 'यौम-ए-दुआ' (प्रार्थना दिवस) आयोजित करने की योजना बना रही है।
स्थानीय सामुदायिक समूहों, मौलवियों और मस्जिदों के इमामों को अपने-अपने क्षेत्रों में 'विशेष प्रार्थनाएं' आयोजित करने के लिए कहा गया है।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव हकीमुद्दीन कासमी ने कहा, ''हम शांति और एकता की प्रार्थना के लिए 'यौम-ए-दुआ' आयोजित करने जा रहे हैं।
जमीयत के उत्तर प्रदेश सचिव कारी जाकिर हुसैन कासमी ने कहा, "हम यूसीसी को स्वीकार नहीं करेंगे। शुक्रवार को देशभर की मस्जिदों में नमाज से पहले इमाम, समुदाय को संबोधित करेंगे और यूसीसी के बारे में बात करेंगे।"
एक स्थानीय इमाम ने बुधवार को कहा, "मौलवियों ने हमें शुक्रवार की नमाज से पहले यूसीसी का जिक्र करने का आदेश दिया है और हम इसके लिए अपनी तैयारी कर रहे हैं।"
रिपोर्ट के अनुसार, जमीयत यूसीसी मामले को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ उठाने पर भी विचार कर रही है। इसके अलावा सभी मुख्यमंत्रियों और विपक्षी दलों के नेताओं को पत्र लिखने की भी योजना है।
कासमी ने आगे कहा कि उनकी वर्किंग कमेटी की बैठक में यूसीसी को लेकर कई फैसले लिए गए हैं। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि सार्वजनिक प्रदर्शनों से बचना चाहिए। केंद्र और राज्य स्तर पर इस विषय पर कार्यक्रमों और आयोजनों में विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को आमंत्रित किया जाएगा।