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- कैदियों के सोने के...
जेल में क्षमता से चार गुना अधिक संख्या में बंदी हैं। बैरकों में जगह की कमी से बंदियों का रात में सोना मुश्किल है। दिन में भी बैरक में साथियों की भीड़ अधिक होने से उठना-बैठना कठिन हो रहा है। बंदियों की इन्हीं समस्याओं को कम करने के लिए नवागत वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने नया फार्मूला निकाला है। वह प्रत्येक बैरक में 16 x16 में करीब 300 फिट में दीवार से जोड़कर स्लैब डलवा रहे हैं। उनका मानना है कि इस विकल्प से कम से कम हर बैरक में 40-50 बंदी रात में पत्थर पर लेटकर सो जाया करेंगे। वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर निर्माण कार्य भी शुरू करा दिया है।
वरिष्ठ जेल अधीक्षक पीपी सिंह ने बताया कि जेल में 23 बैरक हैं और बंदियों की संख्या 2350 है, जबकि यह जेल कुल 800 बंदियों की क्षमता वाली है। यानि जेल में क्षमता से 1550 अधिक बंदी निरुद्ध हैं। इसमें एक बैरक महिला और उनके बच्चों की है। वैसे पुरुष बैरक अलग-अलग क्षमता वाले हैं। इनमें किसी की 30 तो किसी बैरक की क्षमता 60 है। खैर, वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने नई जुगत निकाल ली है, अतिरिक्त व्यवस्था होने के बाद बंदियों को उसमें रहना कुछ हद तक सुगम हो जाएगा।
महिला बैरक की क्षमता 60 की है, जबकि महिलाएं उसमें 129 निरुद्ध हैं। साथ में उनके 10 बच्चे भी उसी में रह रहे हैं। अब सवाल ये है कि 60 की क्षमता वाले बैरक में महिलाएं और उनके छह से 10 वर्ष तक के बच्चे कैसे रह रहे होंगे। वैसे बैरक में क्षमता से तीन-चार गुना अधिक संख्या होने से बंदियों को बहुत परेशानी हो रही है, ये बात खुद वरिष्ठ जेल अधीक्षक मानते हैं। उन्होंने कहा कि जितनी छोटी एवं संक्षिप्त जगह वाली मुरादाबाद की जेल है, उतनी छोटी जेल हमने यूपी में कहीं नहीं देखी। वह कहते हैं कि इसीलिए उन्होंने बैरक में चौड़ा स्लैब तैयार कराने का फार्मूला निकाला है।
जेल में सजायाफ्ता 300 से अधिक बंदी
वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने बताया कि जेल में ऐसे बंदी जिन्हें 10 वर्ष या इससे अधिक अथवा आजीवन कारावास की सजा मिल चुकी है, ऐसे बंदियों की संख्या 300 से अधिक है। इन बंदियों का दूसरी जेलों में ट्रांसफर होने से मुरादाबाद जेल की बैरकों में कुछ हद तक जगह खाली हो सकती है। इस सवाल पर उन्होंने कहा कि उनसे पूर्व के अधिकारी ने कई बंदियों को दूसरी जेलों में शिफ्ट भी कराया है। अब वह भी इस मामले में विचार कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि करीब 200 से अधिक बंदी ऐसे हैं, जिनके निरुद्ध होने की सीमा दो-तीन साल है। ऐसे बंदियों की जमानत अगले चार-पांच महीने में होने की उम्मीद है तो उस स्थिति में जेल की बैरकों में थोड़ी जगह हो जाएगी।
प्रत्येक बैरक में लगवा रहे एग्जॉस्ट
वरिष्ठ जेल अधीक्षक बताया कि बैरकों में वह एग्जॉस्ट वाला पंखा भी लगवा रहे हैं। इस पंखे के लगने के बाद बैरकों का वातावरण सामान्य हो जाएगा। उन्होंने बताया कि बैरकों में पंखे लगे हैं, लेकिन एग्जॉस्ट लगने से बैरकों की उमस बाहर हो सकेगी।