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उत्तरप्रदेश | इंद्रप्रस्थ योजना में उद्यमियों को तीन साल से औद्योगिक भूखंड नहीं मिलने से 200 करोड़ रुपये का निवेश रुका हुआ है. यहां मूलभूत सुविधाएं नहीं होने के कारण अभी तक उद्यमियों को भूखंडों पर कब्जा नहीं मिल सका है. मौके पर भूखंड की जगह 15 से 20 फीट गहरे गड्ढे हैं, जो अभी तक भरे नहीं हैं.
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) इंद्रप्रस्थ योजना में औद्योगिक पॉकेट लांच की थी. योजना के बी पॉकेट में सभी भूखंड औद्योगिक है, जिसमें से 50 से अधिक भूखंड बिके नहीं थे. फिर जून 2020 में कोरोना कॉल के दौरान प्राधिकरण ने 45 भूखंडों को नीलामी के जरिये उद्यमियों को बेच दिया. उस वक्त प्राधिकरण की तरफ से योजना में मूलभूत सुविधाएं मुहैय कराकर तीन महीने में उद्यमियों को भूखंड पर कब्जा देने की बात कही गई. उद्यमी बताते हैं कि दिल्ली के पास होने के कारण उन्होंने नीलामी में बोली लगाकर करीब 27 करोड़ रुपये खर्च कर भूखंडों को खरीदा था, ताकि जल्द उद्योग लगाकर कारोबार शुरू किया जा सके. तीन साल बीतने के बाद भी भूखंडों पर कब्जा तक नहीं मिल सका है. उद्यमियों का कहना है कि यहां कई भूखंडों की जगह पर 15 से 20 फीट तक गहरे गड्ढे हैं. साथ ही भूखंडों के सामने सड़क तक नहीं बनी हुई है. इस कारण भूखंड और सड़कों के बारे में जानकारी तक नहीं है. उद्यमी अपने भूखंड तक पहुंच भी नहीं पा रहे हैं. इसके अलावा यहां मूलभूत सुविधाएं भी मौजूद नहीं है.
भूखंड स्वामियों के सामने यह मुश्किल
ऋषिकेश गोस्वामी, दिनेश जैन का आरोप है कि प्राधिकरण ने 45 मीटर मास्टर प्लान रोड दिखाकर औद्योगिक भूखंड बेचे थे. जबकि मौके पर पांच मीटर की रोड ही मौजूद है. यह स्थिति भूखंड संख्या 36 से 45 तक के उद्यमियों के सामने है. ऐसे में उनके सामने दुविधा है कि वह इन भूखंड पर उद्योग कैसे लगा सकते हैं.
डबल साइड रोड दिखाकर वन साइड बनाई
उद्यमी अमित जैन आरोप है कि जीडीए ने भूखंड संख्या एक से आठ तक डबल साइड रोड कहकर भूखंड बेचे थेअब वन साइड रोड ही बनाकर दी जा रही है. इस बारे में जब प्राधिकरण से संपर्क किया तो वह वन साइड रोड की ही बात कर रहे हैं.
योजना में सड़क के अलावा सीवरेज, पानी और विद्युत की लाइन डालने का काम चल रहा है. जल्द उद्यमियों को भूखंड पर कब्जा मिलेगा. -मानवेंद्र सिंह, प्रभारी मुख्य अभियंता, जीडीए
भूखंड पर कब्जा नहीं मिलने से करीब 200 करोड़ रुपये का निवेश रुका हुआ है. उद्यमी लगातार मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने की मांग कर रहे हैैं. -अरुण गुप्ता, उपाध्यक्ष, आईआईए
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Harrison
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