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- तलाक की नौबत, एक साल...
न्यूज़ क्रेडिट:amarujala
वर्ष 2021 में हर माह 15-20 तलाक की अर्जी आई थीं, वर्ष 2022 में हर माह 30-40 तक तलाक के मामले आए हैं। ज्यादातर मामलों में विवाहेत्तर संबंध होने का शक और खर्चा वजह बना है।
पति-पत्नी के बीच के रिश्ते अब तेजी से दरक रहे हैं, छोटी-छोटी बातों पर हुए विवाद घरों में नहीं सुलझ पा रहे हैं। आगरा जिले में तलाक चाहने वाले जोड़ों की संख्या बढ़ने से फैमिली कोर्ट की संख्या भी बढ़ रही है। काउंसलर का कहना है कि सबसे ज्यादा पति-पत्नी के बीच विवाहेत्तर संबंध के शक और खर्चे के लिए पैसे न देने की वजह से तलाक की अर्जी दायर की जा रही हैं। पिछले एक साल की बात करें तो तलाक के मामले दो गुना तक बढ़ गए हैं।
परिवार कल्याण विशेषज्ञ व अधिवक्ता प्रमिला शर्मा ने बताया कि पिछले साल 2021 में जहां हर महीने तलाक की अर्जी देने वालों की संख्या 15 से 20 थी, वहीं 2022 में हर महीने यह बढ़कर 30-40 तक पहुंच गई है। उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा केस गुजारा भत्ता और विवाहेत्तर संबंध के आ रहे हैं। वर्ष 2018 में आगरा में केवल एक ही फैमिली कोर्ट था। अब इनकी संख्या चार हो गई है।
कोरोना के बाद बढ़े मामले
नितिन वर्मा एडवोकेट ने बताया कि कोरोना काल के बाद तलाक के मामले तेजी से बढ़े हैं। इनमें अधिकांश मामले खर्चे के लिए कम पैसे दिए जाने के हैं। केस स्टडी से सामने आया है कि खर्चे के लिए पैसे कम मिलने पर झगड़ा होता है। मामला तलाक और कोर्ट तक पहुंच जाता है।
बातचीत जरूरी है
मनोचिकित्सक डॉ. दिनेश राठौर ने बताया कि पति-पत्नी में संवाद की कमी से झगड़ा होता है। दोनों के मन में कुंठा पैदा होती है और तलाक तक बात पहुंच जाती है। पति-पत्नी साथ में अधिक समय बिताएं, बातचीत करते रहें।
केस 1- पति खर्चे के लिए नहीं देता पैसा
कमला नगर निवासी युवती की शादी एक साल पहले थाना क्षेत्र के ही रहने वाले युवक के साथ हुई थी। युवती का कहना है कि पति कोलकाता में नौकरी करता है। खर्चे के लिए पैसे नहीं देता है। मायके नहीं आने देता। इसलिए तलाक की अर्जी दायर की है।
केस 2- पति का किसी और के साथ है संबंध
एमएम गेट निवासी युवती की शादी मथुरा के रहने वाले युवक के साथ दो साल पहले हुई थी। युवती का आरोप है कि पति के किसी दूसरी महिला से संबंध हैं। विरोध करने पर मारपीट करता है। चार महीने पहले कोर्ट में तलाक के लिए अर्जी दी है।
ये हैं मुख्य कारण
1. विवाहेत्तर संबंध
2. निजी खर्च न देना
3. संवाद की कमी
4. एक-दूसरे पर शक करना
(काउंसलर बीके सिंह के अनुसार)