उत्तर प्रदेश

HC ने कहा- बलात्कार पीड़ितों और दिव्यांगों से जुड़े मामलों में फैसला करने में और अधिक संवेदनशीलता बरतें जज

Shantanu Roy
24 July 2022 5:44 PM GMT
HC ने कहा- बलात्कार पीड़ितों और दिव्यांगों से जुड़े मामलों में फैसला करने में और अधिक संवेदनशीलता बरतें जज
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लखनऊ। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों ने रविवार को उत्तर प्रदेश की निचली अदालतों के न्यायाधीशों से बलात्कार पीड़ितों और दिव्यांग लोगों से जुड़़े मामलों का फैसला करने में और अधिक संवेदनशीलता बरतने की अपील करते हुए कहा कि न्यायाधीशों के रवैये में यह बात झलकनी भी चाहिए। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान (जेटीआरआई), लखनऊ द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में लखनऊ, कानपुर, सीतापुर, रायबरेली, उन्नाव तथा अयोध्या के जिला न्यायाधीशों समेत 225 से अधिक न्यायिक अधिकारियों को संबोधित कर रहे थे। लैंगिक न्याय और दिव्यांगों तथा यौन शोषण के पीड़ितों के प्रति जिला न्यायाधीशों को संवेदित करने के विषय पर आयोजित इस दो दिवसीय सम्मेलन का उद्देश्य निचली अदालतों के न्यायाधीशों को खासकर महिलाओं तथा दिव्यांगों से जुड़े मुकदमों के अधिक संवेदनशील तरीके से निपटारे के लिए प्रशिक्षित करना था।

न्यायमूर्ति डी. के. उपाध्याय ने इस अवसर पर कहा "हमें महिलाओं का सम्मान करने की संस्कृति विकसित करनी चाहिए और हमें अपने समाज में समानता की संस्कृति का भी संचार करना चाहिए।" उन्होंने कहा कि संविधान से क्रांति उत्पन्न नहीं होती, लेकिन यह क्रांतियां ही हैं, जिनसे संविधान बना है। इससे पहले उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी ने शनिवार को इस सम्मेलन का उद्घाटन किया था। उन्होंने कहा था कि न्याय की प्रक्रिया वादकारी केंद्रित होने के बजाय सरोकार केंद्रित होनी चाहिए। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल ने शनिवार को कहा कि अदालतों में लंबित मामलों की संख्या काफी अधिक होने से यह साबित होता है कि लोगों को समय से न्याय नहीं मिल रहा है। इस मौके पर न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा, न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल, न्यायमूर्ति जे. जे. मुनीर और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए।
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