उत्तर प्रदेश

सपा के पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव ने BJP सांसद संघमित्रा के खिलाफ दायर याचिका वापस ली, लगाया था ये आरोप

Shantanu Roy
11 Sep 2022 5:23 PM GMT
सपा के पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव ने BJP सांसद संघमित्रा के खिलाफ दायर याचिका वापस ली, लगाया था ये आरोप
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बदायूं। उत्तर प्रदेश के बदायूं से समाजवादी पार्टी (सपा) के पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सांसद डॉ. संघमित्रा मौर्य के खिलाफ उच्च न्यायालय में दायर याचिका वापस ले ली है। धर्मेंद्र यादव ने बताया कि उन्होंने बदायूं की सांसद संघमित्रा मौर्य के खिलाफ दायर याचिका वापस लेने के लिए अप्रैल में ही उच्च न्यायालय में शपथ पत्र पेश कर दिया था, जिसे शुक्रवार को अदालत ने स्वीकार कर लिया। संघमित्रा मौर्य एवं अन्य के खिलाफ जो याचिका दायर की थी अब उसका कोई औचित्य नहीं रहा है। एक प्रश्न के उत्तर में यादव ने कहा कि सांसद डा. संघमित्रा के पिता स्वामी प्रसाद मौर्य हमारी पार्टी के नेता हैं, परिस्थितियां विरोधावासी न हों, इसीलिए याचिका वापस ले लिया है।
सांसद डॉक्टर संघमित्रा मौर्य ने फोन पर हुई बातचीत में 'कहा, ''हमें मीडिया के माध्यम से ही पता चला है कि आज याचिका वापस ली गई है। यदि उन्होंने (धर्मेंद्र यादव) याचिका वापस ली है तो यह उनकी व्यक्तिगत सोच है। हमारा कहना बस यह है कि 2019 की हार को उन्होंने दिल से स्वीकार लिया है, उन्होंने मान लिया है कि बदायूं की जनता ने जिसको सांसद बनाया है, वही बदायूं का असली सांसद है।" संघमित्रा मौर्य से जब पूछा गया कि आपके पिता स्वामी प्रसाद मौर्य अब समाजवादी पार्टी में है और विधान परिषद के सदस्य भी हैं कहीं इस कारण से तो उन्होंने याचिका वापस नहीं ली है, इसपर उन्होंने कहा अगर यह बात है तो हम धर्मेंद्र यादव का स्वागत भारतीय जनता पार्टी में करते हैं।
समाजवादी पार्टी में जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि उनका (धर्मेंद्र यादव) झुकाव हमारी तरफ है, हमने उनका स्वागत भारतीय जनता पार्टी में किया है। उल्लेखनीय है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य (अब सपा से एमएलसी) की बेटी डॉ0 संघमित्रा मौर्य को बदायूं लोकसभा क्षेत्र से अपना प्रत्याशी बनाया था। वहीं सपा-बसपा के गठबंधन से चुनाव में उस समय के मौजूदा सांसद रहे धर्मेंद्र यादव प्रत्याशी बने थे। दोनों के बीच सीधी टक्कर हुई और चुनाव में धर्मेंद्र यादव लगभग 18 हजार वोटों के अंतर से चुनाव हार गए थे। यादव चुनावी परिणाम के खिलाफ उच्च न्यायालय गए और आरोप लगाया कि मतगणना में आठ हजार वोटों की गड़बड़ी की गई है।
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