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उत्तर प्रदेश
खाद की किल्लत से किसान परेशान, यूरिया लेने के लिए लगानी पड़ रही लंबी लाइन
Shantanu Roy
25 Dec 2022 12:04 PM GMT
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बड़ी खबर
कुशीनगर। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के साधन सहकारी समितियों पर यूरिया के लिए किसानों की लंबी लाइन लग रही है। किसान यूरिया नहीं मिलने से परेशान हैं। शनिवार को हल्की बारिश होने के बाद खाद लेने के लिए किसान सहकारी समितियों पर पहुंचे। अधिकांश किसानों को हालांकि, यूरिया नहीं मिल सका। किसानों का कहना है कि क्षेत्र के अधिकांश सहकारी समितियों पर यूरिया नहीं है। जिले के साधन सहकारी समिति महुअवां बुजुर्ग नंबर एक, महासोंन, उजारनाथ, गुरवालिया बाजार, धुनवलिया आदि जगहों के लिए एक खेप में दस से 15 टन यूरिया आवंटित हो रहा है, जबकि किसानों की आवश्यकता दोगुनी है। सहकारी समिति पर यूरिया मिलने की सूचना पर किसान सुबह ही पहुंच जा रहे हैं। इसलिए समितियों पर काफी भीड़ जमा हो रही है। क्षेत्र के किसान श्रीराम सिंह, रविंद्र सिंह, तोषिक अली, राजेश सिंह, महेंद्र दुबे आदि ने बताया कि गेंहू की सिंचाई की जा चुकी है, लेकिन समितियों पर यूरिया उपलब्ध नहीं है।
'मांग ज्यादा होने के कारण जल्दी खत्म हो रही है खाद'
वहीं, शनिवार की सुबह हल्की बारिश भी हुई है। ऐसे में यूरिया की जरूरत पड़ेगी। लोगों ने सहकारी समितियों पर खाद उपलब्ध कराने की मांग की है। इस संबंध में साधन सहकारी समिति महुअवा बुजुर्ग 1 और 2 के सचिव अनूप शाही ने बताया कि लगातार खाद मंगाई जा रही है। मांग अधिक होने से जल्द ही खत्म हो जा रही है। उम्मीद है दो दिनों में खाद समिति पर उपलब्ध हो जाएगी। साधन सहकारी समिति धौरहरा पर यूरिया बंटने की सूचना पाकर लोग वहाँ पहुंच गए। दोपहर तक खाद का वितरण हुआ। स्टॉक खत्म होने पर अधिकांश किसानों को खाली हाथ लौटना पड़ा।
यूरिया न मिलने पर लोगों ने साधन सहकारी समिति के कर्मचारियों को खरी-खोटी सुनाई। फाजिलनगर विकासखंड स्थित साधन सहकारी समिति भठही खुर्द में तीन-चार दिनों से किसान चक्कर काट रहे थे। शनिवार को खाद बांटने की सूचना पर लोग पहुंच गए। लोगों ने यूरिया के लिए हो- हल्ला शुरू कर दिया। किसानों के हंगामा करने पर सचिव ने लोगों को समझा बुझाकर शांत कराया। इसके बाद खाद का वितरण हो सका। सचिव प्रेम सागर मिश्रा ने बताया कि यूरिया मिलने की सूचना पर बड़ी संख्या में किसान पहुंच गए थे। पर्याप्त मात्रा में यूरिया और नैनो यूरिया उपलब्ध थी। किसानों को समझा बुझाकर खाद उपलब्ध कराई गई।
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