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उत्तर प्रदेश
लखीमपुर-खीरी में पकड़ी गई नकली खाद की फैक्ट्री, हजारों बोरी उर्वरक बरामद
Admin4
11 Nov 2022 6:52 PM GMT
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लखीमपुर-खीरी। शहर की एक इंडस्ट्रीज में शुक्रवार को डीएम ने भारी पुलिस बल के साथ छापा मारकर बड़े पैमाने पर बनाई जा रही नकली खाद का भंडाफोड़ किया है। छापा के दौरान हजारों की संख्या में नकली खाद से भरी डीएपी, यूरिया, एनपीके और पोटाश की बोरियां भी बरामद हुई हैं।
अधिकारियों के पहुंचते ही मिल मालिक चकमा देकर मौके से भाग निकला, जबकि टीम ने नकली खाद बना और उसे बोरियों में पैक कर रहे 24 से अधिक मजदूरों को हिरासत में लिया है। खबर लिखे जाने तक एसडीएम सदर के नेतृत्व में बरामद बोरियों की गिनती जारी थी।
शुक्रवार को डीएम महेंद्र बहादुर सिंह को मुखबिर ने सूचना दी कि शहर के राजापुर ईस्ट इंडस्ट्रीयल एरिया में स्थित गोविंद इंडस्ट्रीज पर काफी समय से नकली खाद बनाई जा रही है। जिसे इफको, कृभको, उत्सव और अपना यूरिया के नाम से छपी बोरियों में भरकर जिले के साथ ही प्रदेश के कई जिलों में बड़े पैमाने पर भेजा जा रहा है।
डीएम ने सूचना को गंभीरता से लिया और दोपहर करीब एक बजे एएसपी अरुण कुमार सिंह, एसडीएम सदर श्रद्धा सिंह, सीओ सिटी संदीप सिंह, प्रभारी निरीक्षक सदर चंद्रशेखर सिंह, जिला कृषि रक्षा अधिकारी अरविंद कुमार चौधरी के साथ गोविंद इंडस्ट्रीज पर छापा मारा। छापा के दौरान मुख्य गेट पर ताला पड़ा हुआ था। टीम के सदस्य जब इंड्रस्टीज़ की किसी तरह से दीवार कूदकर घुसे तो उनके होश उड़ गए। वहां पर नकली खाद को बनाया और बोरियों में भरा जा रहा था। पुलिस के साथ अधिकारियों को देख अधिकारियों को चकमा देकर खाद माफिया मनीष गुप्ता मौके से भाग निकला।
छापेमारी के दौरान गोदाम में काफी संख्या में बोरा, पैकेट, विभिन्न ब्रांड के डीएपी, एनपीके, यूरिया, सिंगल सुपर फास्फेट, प्रोम, बायो पोटास बरामद हुए, जिनकी जांच हेतु जिला कृषि अधिकारी अरविंद चौधरी के नेतृत्व में कृषि विभाग की टीमों ने सैंपलिंग की। डीएपी व पोटाश की पैकिंग का कार्य चलते हुए पाया गया। बड़ी मात्रा में मोरंग, बालू, नमक, गेरू सहित अन्य रा मटेरियल भी मिला है, जिनके जरिए नकली खाद बनाई जा रही थी। कृषि विभाग की टीमों ने बरामद नकली खाद की सैंपलिंग की है। टीम को नकली उर्वरकों का ब्योरा बनाने में देर रात हो जाएगी। इसका देखते हुए गोदाम को सील कर दिया गया है।
टीम ने गोदाम में मिले नकली उर्वरकों, पैकिंग, सिलाई के साथ वजन मशीने, सैकड़ों खाली बोरे, रैपर अपने कब्जे में लिए हैं। फैक्ट्री में कई गोदाम, स्टोर और एक प्रयोगशाला भी चलती हुई मिली है, जिसमें कई उपकरण और मशीनें लगी हैं, जिन्हें टीम ने कब्जे में लिया है। नकली खाद से भरी बोरियों की देर शाम तक गिनती जारी रही। टीम ने इफको, कृभको, पारस ब्रांड, अपना यूरिया, उत्सव छाप की डीएपी की खाली नई बोरिया, इफको व कृभको ब्रांड की एनपीके 12 रू 32 रू 16 की खाली बोरियां भी कब्जे में ली हैं।
डीएम को नकली खाद बनाए जाने की सूचना मिली थी। जिस पर एसडीएम सदर, सीओ सिटी और जिला कृषि रक्षा अधिकारी के नेतृत्व में टीमें गठित की गई थीं। डीएम के नेतृत्व में टीमों ने छापामारी की है। बड़ी मात्रा में नकली खाद बरामद हुई है। बरामद खाद की सैपलिंग कराई जा रही है। सैंपलिंग के बाद पूरे परिसर को सीज किया जाएगा। बरामद बोरियों की काउंटिंग कराकर फर्द बनाई जा रही है। इसके बाद विधिक कार्रवाई की जाएगी-अरुण कुमार सिंह, एएसपी।
इंडस्ट्रीज बंदी का था बहाना मिल मालिक भर रहा था अपना खजाना
शहर के राजापुर इंडस्ट्रीरियल एरिया में स्थित गोविंद इंडस्ट्रीज के बाहर 21 नवंबर से फैक्ट्री बंदी का सूचना चस्पा करना तो बहाना था। फैक्ट्री के बंदी होने बहाने ही मिल मालिक नकली खाद बनाकर मोटी कमाई कर रहा था। मिल के गेट पर रितिक गुप्ता के नाम से चस्पा की गई इस सूचना में 21 अक्टूबर 22 से 20 नवंबर 22 तक मिल पूर्णतयरू बंद रहने की बात लिखी गई है।
शहर के राजापुर इंडस्ट्रियल ईस्ट में जिला उद्योग केंद्र से चंद कदमों पर गोविंद इंडस्ट्रीज स्थित है। यहां पर काफी समय से खाद बनाने और उसकी प्रदेश के कई जिलों में सप्लाई करने का धंधा चल रहा था। यहां से पड़ोसी मित्र राष्ट्र नेपाल को भी बड़े पैमाने पर तस्करों से सांठगांठ कर खाद भेजी रही थी, लेकिन नाक के नीचे चल रहे बड़े पैमाने पर इस अवैध कारोबार की भनक तक नहीं लग सकी। इससे जिम्मेदारों की नीयत पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। मजेदार बात तो यह है कि खाद माफिया ने इंडस्ट्रीज के मुख्य गेट पर एक सूचना चस्पा कराई थी।
रितिक गुप्ता के नाम से चस्पा की गई इस सूचना में साफ लिखा गया था कि मेरी गोविंद इंडस्ट्रीज पारिवारिक कारणों से 21 अक्टूबर से 20 नवंबर तक पूर्णतयरू बंद रहेगी। उसने काम करने वाले मजदूरों को भी काम पर लेने से मना कर दिया था। नोटिस चस्पा कर खाद माफिया मिल के अंदर नकली खाद बनाकर रात में ट्रकों से सप्लाई कर रहा था। इसके लिए वह प्रतिदिन सुबह सदर चौराहा पर लगने वाली मजदूर मंडी से दिहाड़ी पर मजदूर लाता और उनसे नकली खाद बनाने और उसको पैक करने के साथ ही ट्रकों में भरवाने का काम लेता था।
सूत्र बताते हैं कि इधर कई दिनों से रोज रात में करीब दो ट्रक भरकर निकलते थे। खाद माफिया ने प्रशासन की आंखों में धूल झोंकने के लिए यह सूचना चस्पा कराई थी। सूत्रों ने बताया कि करीब दो साल पहले गोविंद इंडस्ट्रीज फर्म के मालिक खाद माफिया मनीष गुप्ता का नाम बसहा (फूलबेहड़) सहकारी सोसायटी में नकली खाद मिलने पर सप्लायर के रूप में उजागर हुआ था, लेकिन अधिकारियों ने पर्दा डालकर मनीष गुप्ता को बचा दिया। इसके बाद से उसके इस काले कारोबार ने और अधिक तेजी पकड़ ली थी। इस फैक्ट्री में कई वर्षों से नकली खाद बनाई जा रही थी।
कृषि विभाग और सहकारी समितियों में खाद माफिया की काफी ऊंची पहुंच बताई जाती है। इसी के चलते कोई अधिकारी उस पर हाथ डालने की कोशिश नहीं कर रहा था। सूत्रों का कहना है कि कृषि विभाग के जिले में रह चुके एक पूर्व अधिकारी व सहकारिता विभाग के पूर्व एक अधिकारी भी खाद बनाने के इस कारोबार में पार्टनर हैं। जिला कृषि अधिकारी अरविंद कुमार चौधरी ने बताया कि गोविंद इंडस्ट्रीज के मालिक मनीष गुप्ता की है।
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