उत्तर प्रदेश

पुलिस केस डायरी से सुबूत लापता, सलाखों के पीछे हैं गुनाहगार

Admin4
12 Nov 2022 9:29 AM GMT
पुलिस केस डायरी से सुबूत लापता, सलाखों के पीछे हैं गुनाहगार
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लखनऊ । पुलिस केस डायरी में राजधानी पुलिस के लिए पांच शव रहस्य बनते जा रहे हैं, हालांकि कई महीनों से इन शवों की तलाश का सिलसिला बदस्तूर जारी है। तो वहीं इनके गुनाहगार जेल की चारदीवारी में कैद हैं मगर अब तक शव बरामद न होने से उन्हें जेल में रखना पुलिस के लिए चुनौती बनती जा रही है। एक रिपोर्ट की मानें, तो साल भर के अंदर राजधानी में चार साल के बच्चे समेत पांच जघन्य हत्याएं सामने आई हैं।

सभी वारदातों में पहले तो अपहरण किया गया कि फिर बेहरमी से इन्हें मौत के घाट उतार दिया गया, हालांकि गुनाहगारों ने गिरफ्तारी के दौरान अपना जुर्म स्वीकार कर दिया है मगर सुबूत आज भी पुलिस केस डायरी से लापता है। इन जयन्घ हत्याकांड में एक भी शव बरामद न होने से पुलिस की कार्यशैली पर परिजन सवाल खड़े कर रहे हैं। जबकि हत्याकांड में शव मिलना बेहद अहम सुबूत हैं। कानून के जानकारों का यह भी मनाना है कि सुबूत के अभाव में गुनाहगारों को अपने जुर्म में राहत भी मिल सकती है। अब देखना है किसी तरह शवों को ट्रेस कर कातिलों को उनके किए गए गुनाहों की सजा दिलाने में कामयाब होती है।
गौरतलब है कि बीते 26 अगस्त को गुडम्बा थानाक्षेत्र अन्तर्गत सोनी तिवारी की हत्या किसी और ने नहीं बल्कि उसके पति पुष्पेंद्र तिवारी ने की थी। सोनी हत्याकांड का पर्दाफाश करते हुए पुलिस ने गोंडा निवासी पुष्पेंद्र तिवारी, मृतका के देवर गोविंद तिवारी और मड़ियांव निवासी सूरज वर्मा को गिरफ्तार कर जेल भेजा। पुलिस की मानें तो, पुष्पेंद्र ने सोनी की हत्या की और फिर भाई गोविंद, साथी सूरज के साथ मिलकर उसका शव कार में रखा। शव बहराइच बार्डर पर ले जाकर फेंक दिया। आज भी सोनी का शव पुलिस केस डायरी में रहस्य बना हुआ है। जिसे पुलिस तालाश नहीं पाई है।
बीते 18 दिसंबर 2021 को विभूतिखंड थानाक्षेत्र अन्तर्गत लोहिया अस्पताल कर्मचारी श्रीराम यादव रहस्यमयी परिस्थितियों से लापता हो गए थे और उनकी बारांबकी जनपद में हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने इस हत्याकांड का पर्दाफाश करते हुए पत्नी संगीता व उसके प्रेमी अविष्ट कुमार के अलावा, कुंती, सुशील और संतोष को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। पुलिस की मानें तो गुनाहगारों ने हत्या के बाद शव को बाराबंकी जनपद की बड्डूपुर नहर में ठिकाने लगा दिया था। मगर आज भी श्रीराम का शव नहीं मिल सका है। हालांकि पुलिस ने लोहिया कर्मचारी श्रीराम यादव की हत्या के मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी है।
बीते पांच सितम्बर को चिनहट थानाक्षेत्र अन्तर्गत कमता सनातनगर निवासी मार्केटिंग इंस्पेक्टर धीरेंद्र पांडेय के चार साल के बेटे राम का अपहरण कर हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड का पर्दाफाश करते हुए पुलिस ने धीरेंद्र के चचेरे भाई अमित को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे भेज दिया था। पुलिस की मानें तो धीरेंद्र ने अपने भतीजे राम को घर से अगवा कर कानपुर जाजमऊ लेकर गया था। जिसके बाद उनसे राम की गला घोंट कर हत्या कर दी और शव को गंगा में फेंक दिया। करीब हफ्ते भर तक एसडीआरएफ की टीम शव की खोजबीन करती रही लेकिन बच्चे का शव आज भी पुलिस केस डायरी से लापता रहा।
बीते 25 सितम्बर को काकोरी थानाक्षेत्र अन्तर्गत जेहटा गांव निवासी प्रापर्टी डीलर विशाल गौतम (25) को उसके साथियों ने मारूति वैन से अगवा कर लिया था। फिर अपहर्ताओं व्हाट्सएप कॉल कर प्रापर्टी डीलर की बहन से 25 लाख रुपये की फिरौती मांगी थी। बता दें कि दो दिन तक अपहर्ताओं ने प्रापर्टी डीलर को माल क्षेत्र की एक नमकीन फैक्ट्री में बंधक बनाए रखा था। फिरौती की रकम न मिलने पर अपहर्ताओं ने नशील इंजेक्टर लगाकर प्रापर्टी डीलर की गला घोंटकर हत्या कर दी थी। इसके बाद गुनाहगारों ने प्रापर्टी डीलर के शव को हरदोई जनपद की एक नदी में फेंक कर ठिकाने लगा दिया था। मगर आज भी पुलिस विशाल का शव बरामद नहीं कर पाई है। पुलिस ने विशाल हत्याकांड का पर्दाफाश करते हुए उसके साथी राजेश गौतम, धीरज मौर्या समेत सात को गिरफ्तार कर जेल भेजा। पुलिस ने दावा किया पूछताछ में आरोपितों ने वारदात करना स्वीकार की।
कृष्णानगर थानाक्षेत्र अन्तर्गत पूरननगर निवासी अश्वनी पाल की हत्या पत्नी प्रीती, साले शिवम, अभिषेक और उसके दोस्त शाहरुख ने मिलकर की थी। पुलिस ने सभी को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। अश्वनी हत्याकांड का पर्दाफाश करते हुए पुलिस ने बताया कि मृतक का पत्नी से विवाद चल रहा था। लिहाजा पत्नी ने अपने भाई व उसके दोस्तों के संग मिलकर कर इस हत्याकांड को अंजाम दिया था। इसके बाद चोरी-छिपे पति के शव को नहर में फेंक दिया था।
पूर्व डीजी एके जैन के मुताबिक, किसी भी हत्याकांड में शव का मिलना एक पुख्ता सुबूत माना जाता है। शव पर फिंगर प्रिंट आदि का मिलान कराया जाता है। अमूमन ऐसे मामले भी आते है कि किसी भी हत्याकांड में पुलिस ने आरोपित को जेल भेजकर चार्जशीट दाखिल कर दी। कुछ दिन बाद वह व्यक्ति (जिसकी हत्या होना बताया जाता है) प्रकट हो गया कहीं से तो दिक्कतें होती हैं। हालांकि इलेक्ट्रानिक साक्ष्य, मोबाइल की लोकेशन, पीड़ित के घरवालों का बयान, आरोपितों के बयान, घटनास्थल का कोई गवाह यह सब भी आरोपित के खिलाफ अपराध सिद्ध करने के पर्याप्त साक्ष्य होते हैं पर पुख्ता और सही होने चाहिए।
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