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डॉ. सुशील यादव दिल को फेल होने से बचाएं, दुरुस्त रखें खान-पान और करें नियमित व्यायाम
अयोध्या। बदलती जीवन शैली और प्रदूषण में मानव जीवन में बीमारियों के खतरे को बढ़ा दिया है। हार्ट अटैक की घटनाएं दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। हालांकि जिले में उपचार के साधन और संसाधन अभी भी नाकाफी है। विशेषज्ञ चिकित्सकों का सुझाव है कि बचाव ही सबसे बड़ा उपचार है।
लखनऊ के मिडलैंड अस्पताल के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ सुशील यादव ने रविवार को बताया कि हार्ट अटैक के खतरे को कम करने के लिए स्मोकिंग से बचें, खानपान में एहतियात बरतें और नियमित व्यायाम तथा योग करें। वह निदान केंद्र में मीडिया से मुखातिब थे। बताया कि स्मोकिंग से नाइट्रिक ऑक्साइड और तली-भुनी, बेकरी आइटम व फास्ट फूड के सेवन से कोलेस्ट्राल बढ़ता है।
जो दिल की सेहत को कमजोर करता है। नियमित योग और व्यायाम बैड कोलेस्ट्रॉल को घटाने में मदद करता है तथा नसों में खून का संचार नियमित रखता है। उन्होंने बताया कि अगर छाती के बीचो बीच तेज दर्द हो और बेचैनी के साथ इस दर्द का एहसास एक या दोनों बांह, पीठ, गर्दन व जबड़े के नीचे, नाभि के उपर दिखे और सांस लेने में कठिनाई महसूस हो तथा ठंडा पसीना, जी मिचलाने अथवा सिर चकराने की शिकायत हो, तो यह हार्ड अटैक का लक्षण है।
लक्षण दिखने पर तत्काल मरीज को उपचार के लिए विशेषक चिकित्सक को दिखाएं। ऐसे मरीज के लिए 60 मिनट गोल्डन आवर होता है। गोल्डन आवर खत्म होने पर स्थित क्रिटिकल होती जाती है।
उपचार के संबंध में डॉ. यादव ने बताया कि प्राथमिक उपचार क्लाट बस्टर दवा है, जो 55 फीसदी तथा विशेष उपचार एंजियोप्लास्टी 95 फीसदी तक सफल मानी जाती है।
वर्तमान में देश में 45 से 50 लाख को हार्ट अटैक की शिकायत आ रही है और इनमें से 15 फीसदी की मौत हो रही है। प्राथमिक रूप से ईसीजी करवा अटैक की जानकारी हासिल की जा सकती है तथा 30 मिनट के भीतर रोगी को अस्पताल पहुंचा देना चाहिए।
न्यूज़ क्रेडिट: amritvichar