- Home
- /
- राज्य
- /
- उत्तर प्रदेश
- /
- बाजारो में दिवाली की...
उत्तर प्रदेश
बाजारो में दिवाली की धूम दिखनी शुरू, दुकानों पर सजने शुरू हुए पटाखें
Shantanu Roy
14 Oct 2022 6:03 PM GMT
x
बड़ी खबर
मुजफ्फरनगर। बाजारों में दीपावली की झलक देखने को मिल रही हैं। वहीं इस बार दीपावली पर जनपदवासी परंपरागत तरीके से दीपावली मनाने के लिए उत्साहित दिखाई दे रहे हैं। बता दे कि पिछले वर्षो में कोरोना के बाद लोग इस बार रीति रिवाज से त्यौहार मनानें के लिए लालाहित दिखाई दे रहे हैं। दुकानों पर दीपावली के पटाखे आदि दिखने शुरू हो गए है। रेखा पत्नि सतवीर निवासी अलमासपुर ने बताया कि एक दशक पूर्व त्योहारी सीजन का जोरो शोरो के साथ स्वागत किया जाता था। उन्होंने बताया कि पहले सभी लोगों के द्वारा त्यौहारों को खुशी-खुशी एक साथ मिलकर मनाया जाता था,मगर आज के दौर में भारतीय परंपरा लुप्त हो गई हैँ। उन्होंने कहा कि त्यौहार के आने के एक माह पूर्व से ही जश्र मनाना शुरू हो जाया करता था, मगर अब तो त्यौहार के दिन भी त्यौहार नहीं लगता हैं।
सुरेश बाला देवी पत्नि जगपाल सिंह बालियान निवासी सिसौली ने बताया कि दीपावली पर्व को लेकर लोग काफी उत्साहित रहते थे। वहीं दुकानों पर भी एक एक माह पहले ही त्यौहारों पर प्रयोग होने वाले प्रसाधन आने शुरू हो जाया करते थे, मगर आज की युवा पीढी अपने काम काज में इस कदर बंध चुके हैं कि अपनी परंपरा को भूल कर वेस्टर्न परंपरा को अपनाने पर लगे हुए हैं। उनका कहना हैं कि अगर हम बात करे दीपावली की तो करीब डेढ़ माह पूर्व से ही ग्रामीण अंचलों में चहल पहल शुरू हो जाती थी। वहीं आज के इस आधुनिक दौर में त्यौहार के दिन ही लोगों को थोडा वक्त मिल पाता हैं,या फिर यू कहिए कि पूर्व से चली आ रही परपरा के अनुसार अपना फर्ज अदा करने के लिए ही एक दिन का वक्त निकाला जाता हैं। सुरेश बाला का कहना हैं कि आधुनिकता को बढावा देते देते अपने सभी रीति रिवाजों को दरकिनार कर दिया जा रहा हैं।
लीलावती उपाध्याय पत्नि रामसिंह उपाध्याय निवासी शेरनगर का कहना हैं कि हिन्दू धर्म में दीपावली का पर्व बहुत बडा पर्व माना जाता हैं,क्योंकि इस दिन भगवान श्रीराम लंका पर विजय प्राप्त कर एवं चौदह वर्ष का वनवास काटने के बाद अयोध्या वापस लौटे थे। लीलावती उपाध्याय का कहना हैंं कि दीपावली पर्व पर कुम्हारों के द्वारा बनाये गये दिये एवं चुग्घों की खरीददारी की जाती थी एवं दीपावली पर्व को मनाने के लिए अपने घरों की छतों पर मिट्टी से बनाये गये दिये जलाने के बाद पास पडोस के घरों की छतों पर भी दिये जलाकर खुशियां मनाई जाती थी, मगर दीपावली का सबसे बडा त्यौहार होने के बावजूद भी मानों एक प्रकार से फर्ज निभाने के रूप में ही मनाया जा रहा हैं।
Next Story