उत्तर प्रदेश

विकास में बाधा बना. लेटलतीफ सिस्टम

Admin4
2 Sep 2022 4:52 PM GMT
विकास में बाधा बना. लेटलतीफ सिस्टम
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गोरखपुर (ब्यूरो).जिला अस्पताल में दो साल से एमआरआई भवन तैयार है, लेकिन शासन स्तर से अभी तक एमआरआई मशीन नहीं लग पाई। जबकि अस्पताल की इमरजेंसी में डेली 10 से 12 एक्सीडेंट या गंभीर पेशेंट आते हैं। एमआरआई की सुविधा नहीं होने की वजह से इन पेशेंट को बीआरडी मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया जाता है। जहां सरकारी अस्पताल में एमआरआई की जांच में 2500 रुपए लगते हैं। वहीं, प्राइवेट सेंटर में 7000 से 8000 रुपए लगता है। सुविधा नहीं होने की वजह से पेशेंट के साथ परिजनों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।

- सरकारी अस्पताल में एमआरआई की जांच 2500 रुपए में हो जाएगी।

- प्राइवेट एमआरआई सेंटर्स की लूटपाट बंद हो जाएगी। बीआरडी नहीं जाना पड़ेगा।

एमआरआई सेंटर के लिए भवन तैयार हैं। शासन स्तर से मशीन आनी है। इसके लिए कई बार पत्र लिखा जा चुका है। उम्मीद है कि जल्द ही मशीन लग जाएगी।

डॉ। राजेंद्र ठाकुर, एसआईसी जिला अस्पताल

ठंडे बस्ते में मोहल्ला क्लीनिक

सिटी के 23 वार्डों में मोहल्ला क्लीनिक के लिए जमीन चिन्हित होने के बाद भी काम ठंडे बस्ते में है। नजदीकी इलाज कराने की सुविधा चार माह बाद शुरू नहीं हो सकी। नगर निगम हेल्थ डिपार्टमेंट की सुस्ती की वजह से यह स्कीम अधर में है। इतना ही नहीं हेल्थ डिपार्टमेंट की ओर से इस क्लीनिक पर डॉक्टर और हेल्थ कर्मियों की तैनाती भी नहीं हो सकी है। जो अभी तक ठंडे बस्ते में है। पब्लिक को उनके घर के पास इलाज के लिए सीएम की पहल पर मोहल्ला क्लीनिक खोलने के निर्देश दिए गए थे। सीएम ने कहा था कि वार्डो में निगम की खाली जमीन पर क्लीनिक खोली जाए, इससे बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों को फायदा पहुंचा है। इसके बाद मेयर ने उन पार्षदों से प्रस्ताव मांगे थे, जिनके वार्ड में नगरीय स्वास्थ्य केंद्र न हों। लेकिन समय रहते यह स्कीम परवान नहीं चढ़ सकी।

ये होगा लाभ

- नगरीय एरिया में मोहल्ला क्लीनिक खुलने से पेशेंट को दौड़-भाग कम होगी।

- बुखार, खासी, जुकाम आदि संक्रमण बीमारी के लिए पेशेंट को जिला अस्पताल नहीं जाना पड़ेगा।

महानगर में मोहल्ला क्लीनिक खोलने के लिए नगर निगम से मिलकर पहल की गई है। इसके लिए निगम को स्थान चिन्हित करना है। जगह मिलने के बाद मोहल्ला क्लीनिक खोला जाएगा।

डॉ। आशुतोष कुमार दुबे, सीएमओ गोरखपुर

2 साल पहले 2 सबस्टेशन का किया था शिलान्यास, नहीं मिली जमीन

सिटी के बिछिया व दिव्यनगर क्षेत्र के कंज्यूमर्स की दिक्कतों को दूर करने के लिए बिजलीघर बनाने की पॉवर कॉरपोरेशन ने स्वीकृति दी थी। दो साल बाद भी अफसर बिजलीघरों के लिए भूमि नहीं तलाश कर पाए हैं, लेकिन इन बिजलीघरों के निर्माण के लिए टेंडर जरूर कर दिए हैं। करोड़ का बजट आंवटित हो गया और ठेकेदारों के नाम भी तय हो गए हैं पर यह तय नहीं हो पाया कि बिजली घर बनेंगे कहां? क्योंकि भूमि अब तक नहीं मिल पाई। दिव्यनगर व बिछिया क्षेत्र में बनने वाले इन बिजली घरों के लिए पहले जिस भूमि को चिन्हित किया गया। वह विवाद की वजह से हाथ से निकल गई। अब नए सिरे से भूमि तलाश करने का काम हो रहा है।

दरअसल महानगर के खोराबार व मोहद्दीपुर बिजलीघर का ओवरलोड कम करने के लिए अक्टूबर में जोन के तत्कालीन मुख्य अभियंता ई। देवेंद्र सिंह व नगरीय एसई ने दिव्यगनगर व बिछिया में नया बिजली घर बनाने का प्रस्ताव बनाकर दौरे पर आए सीएम के समक्ष रखा। सीएम ने प्रस्ताव पर अपनी सहमति देने के साथ ही अन्य प्रस्ताव पर भी मंजूर कर तत्काल बजट भी आवंटित करा दिए। इसके बाद जिला प्रशासन ने दिव्यनगर बिजलीघर के लिए जीआरडी की बाउंड्रीवाल के सटे भूमि चिन्हित कराई। बिछिया बिजलीघर के लिए असुरन चौक स्थित लेखपाल प्रशिक्षण केंद्र परिसर में भूमि मुहैया कराई। जांच-पड़ताल में दोनों भूमि विवादित मिलीं। ऐसे में दोनों भूमि के अलावा अभियंताओं ने अन्य भूमि की तलाश शुरू की। आनन-फानन में विद्युत माध्यमिक कार्य मंडल ने बिजली घर बनाने के लिए निविदा आमंत्रित कर दी। मार्च -21 में निविदा फाइनल भी हो गई। अधिकारियों का कहना है कि मुफ्त की भूमि नहीं मिल रही है। जिला प्रशासन को भी भूमि मुहैया करानी है। इसके लिए अबतक दर्जनों पत्र लिखा गया है।

ये होगा लाभ

- बिजलीघर बनने से 12 हजार परिवारों को मिलेगी बेहतर बिजली सप्लाई।

- लो वोल्टेज और फॉल्ट की समस्या से मिलेगी निजात

दोनों बिजलीघरों के लिए भूमि जिला प्रशासन को ही मुहैया करानी है। जो भूमि पहले बताई गई थी। वह विवादित मिली। दो साल के दौरान दर्जनों पत्र लिखे गए। बावजूद इसके भूमि अबतक चिन्हित नहीं हो पाई।

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