उत्तर प्रदेश

दिल्ली मेरठ एक्सप्रेस वे हादसा

Sonam
12 July 2023 3:55 AM GMT
दिल्ली मेरठ एक्सप्रेस वे हादसा
x

इंचौली थाना क्षेत्र के गांव धनपुर निवासी 85 वर्षीय जयपाल यादव के एक बेटी और तीन बेटे थे। सबसे बड़ी बेटी माया, बेटा जितेंद्र यादव, नरेंद्र यादव और धर्मेंद्र यादव हैं। चारों की शादी हो चुकी है। पुश्तैनी मकान के एक हिस्से में जितेंद्र अपने परिवार के साथ रहते हैं, जबकि एक हिस्से में नरेंद्र-धर्मेंद्र एक साथ रहते हैं।

खाटू श्याम जाने के लिए निकले थे कार से

नरेंद्र की तोहफापुर बस स्टैंड पर हार्डवेयर व इलेक्ट्रिक की दुकान है, जबकि जितेंद्र व धर्मेंद्र खेती करते हैं। मंगलवार सुबह साढ़े चार बजे नरेंद्र और धर्मेंद्र का परिवार खाटू श्याम जाने के लिए कार में सवार होकर निकला था। जैसे ही हादसे की सूचना जितेंद्र को मिली तो वह अपने परिवार के साथ घटना स्थल के लिए रवाना हो गए। जितेंद्र ने बताया कि परिवार में कुछ भी नहीं बचा है। उन्होंने बताया कि नरेंद्र ही परिवार के मुखिया थे, वह दोनों भाई खेती करते हैं जबकि नरेंद्र परिवार की जिम्मेदारी के सभी काम करते थे।

जितेंद्र के बेटे ने दी मुखाग्नि

दो चिता बनाई, जितेंद्र के बेटे ने दी मुखाग्नि देर रात शव घर पहुंचे। कुछ देर रोकने के बाद ही शवों को गांव के श्मशान में ले जाया गया। यहां दो चिता बनाई गईं। एक चिता पर नरेंद्र, उनकी पत्नी अनीता और बेटे दीपांशु के शव रखे गए। जबकि दूसरी चिता पर धर्मेंद्र की पत्नी बबीता, बेटी वंशिका व नरेंद्र के बेटे हिमाशु का शव रखा गया। दोनों चिता को जितेंद्र के बड़े बेटे प्रियांशु ने मुखाग्नि दी।

गांव में नहीं जले चूल्हे

गांव धनुपर तीन हजार की मिश्रित आबादी वाला गांव हैं। जिसमें यादव, अनुसूचित जाति, मुस्लिम के साथ अन्य समाज के लोग रहते हैं। मंगलवार की सुबह गांव के घरों में रोज की तरह महिलाएं घर में चाय व नाश्ते की तैयारी में लगी थीं, हादसे की जानकारी मिलते ही सभी के चूल्हे बंद हो गए। ग्रामीण पूरे दिन पीड़ित जयपाल के घर मौजूद रहे। यहीं नहीं, घर पर केवल बुजुर्ग जयपाल मौजूद थे। ग्रामीणों ने अर्थी का सामान एवं चिता के लिए ईधन का इंतजाम किया।

दीपांशु ने जाने से किया था इन्कार

ग्रामीणों ने बताया कि नरेंद्र परिवार के साथ अक्सर खाटू श्याम जाया करते थे। कुछ दिन पहले ही बागड़ गए थे। नरेंद्र ने जाने का कार्यक्रम बनाया तो बड़े बेटे दीपांशु ने मना कर दिया था। वह बाबा के पास ही घर पर रहने की जिद कर रहा था। बाद में उसे जाने के लिए तैयार कर लिया गया। ग्रामीण चर्चा कर रहे थे कि होनी को कौन टाल सकता है।

बड़े भाई की पत्नी ऊषा कई बार हुई बेहोश

भले ही एक भाई अलग और दो भाई एक साथ रहते थे लेकिन तीनों के परिवार में प्यार बहुत था। जितेंद्र तो सूचना मिलते हुए गाजियाबाद रवाना हो गए, उनकी पत्नी ऊषा घर पर थीं। वह बदहवास थीं और कई बार वह बेहोश हुई। रिश्तेदार व गांव की महिलाएं उन्हें संभाल रही थीं।

नरेंद्र का काम के प्रति था समर्पण

नरेंद्र का हालांकि मूल काम खेती था, लेकिन इसके साथ इलेक्ट्रिक व हार्डवेयर की दुकान भी करते थे। वह हरियाणा से तीन साल पहले एक गाड़ी खरीदकर लाए थे। जिसे वह बुकिंग पर भी चलाते थे। मुख्यमंत्री ने जताई शोक-संवेदना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हादसे में मारे गए लोगों के प्रति संवेदना जताई। मेरठ व गाजियाबाद के पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों को घायलों को इलाज की व्यवस्था करने और मृतक के घर पहुंचकर स्वजन से दुख दर्द साझा करने के दिशा-निर्देश भी दिए। उधर, मुख्यमंत्री राहत कोष के साथ दुर्घटना बीमा आदि मद से आर्थिक मदद करने के आदेश भी दिए। एसडीएम मवाना अखिलेश यादव व थाना पुलिस गांव पहुंची और हरसंभव मदद का आश्वासन दिया।

जलशक्ति राज्य मंत्री ने भी शोक संवेदना जाहिर की

जलशक्ति राज्यमंत्री व स्थानीय विधायक दिनेश खटीक ने हादसे को लेकर ट्वीट करते हुए संवेदना जताई। वहीं, फोन से पीड़ितों के संपर्क कर हर संभव मदद का आश्वासन दिया।

उम्र के इस पड़ाव पर पहाड़ जैसा दुख

नरेंद्र अपने पिता जयपाल को रात में दर्शन कर लौटने की बात कहकर गए थे। पिता उम्र के उस पढ़ाव में हैं, जहां आंखों से कम दिखाई देता और सुनाई भी कम देता है। करीब तीन वर्ष पूर्व उनकी पत्नी सावित्री भी चल बसी थीं। सुबह बुजुर्ग को किसी ने भी हादसे की जानकारी नहीं दी। लेकिन जैसे-जैसे घर पर ग्रामीण व रिश्तेदार एकत्र होते गए तो उन्होंने इसका कारण पूछा। तब उन्हें सब बताया गया। इसके बाद वह भावशून्य हो एक टक दरवाजे की ओर देख रहे थे। शाम को जब शव घर पहुंचे तो बुजुर्ग जयपाल की हिड़की बंध गई। ग्रामीणों ने बताया कि कई पीढ़ी पहले मुरादनगर के सुराना गांव से यह परिवार यहां आकर बस गया था।

Sonam

Sonam

    Next Story