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उत्तर प्रदेश
संस्कार व संस्कृति को जबरन उड़ेला नहीं जा सकता है: डॉ शिवानी
Shantanu Roy
3 Jan 2023 11:42 AM GMT
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बड़ी खबर
प्रतापगढ़। किसी के दिमाग में संस्कार एवं संस्कृति जबरन उड़ेला नहीं जा सकता है। कोई भी कला मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा नहीं करती है। कला से रोजगार को जोड़ने का समय आ गया है। आज अवधी संस्कृति के संवर्धन व बढ़ावा देने की जरूरत है। मातन हेलिया परिसर में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान उत्तर प्रदेश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान यश भारती से अलंकृत डॉ शिवानी मातन हेलिया ने उक्त विचार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि कलाकार की दृष्टि सौंदर्य परख होती है। संगीत बहुआयामी विधा है। आल्हा, लोकगीत कला अपने मौलिक रूप से गायब हो रही है। जबकि संगीत की इन कलाओं में गंभीर कथा व परिपाटी समाहित है। अवधी कला को संरक्षित व संवर्धित करने का समय आ गया है। कलाओं का परिमार्जन व संवर्धन कर वर्तमान परिवेश में रोजगार से जोड़ा जा सकता है।
आज का युवा आक्रामक प्रवृत्ति का शिकार हो रहा है। हम संवेदनाओं से दूर मशीनीकृत रोबोट युग के शिकंजे में फंसते जा रहे हैं। युवाओं में तनाव व कुंठा का दौर बढ़ रहा है। स्थानीय अवधी संस्कृति को बचाने का संकल्प लेने का डॉ शिवानी ने दावा किया। यश भारती पुरस्कार के अलावा डॉ शिवानी को संगीत के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए 30 से अधिक सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। संगीत विषय में प्रतापगढ़ जनपद की पहली पीएचडी डॉ शिवानी को कला के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए राष्ट्रीय स्तर की जूनियर व सीनियर फेलोशिप प्राप्त हो चुकी है। वर्तमान में डॉ शिवानी अवधी लोकसंगीत व लोक संस्कृति के संरक्षण, अभिलेखीकरण व संवर्धन के लिए महत्वपूर्ण शोध परियोजनाओं को मूर्त रूप देने की दिशा में अग्रसर हैं।
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