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आगरा: मानसून अभी ठीक से आया भी नही कि आगरा में हल्की बारिश ने शहर से लेकर देहात तक जन-जीवन को बेहाल कर दिया है. हाल ही में हुई आगरा में बारिश से लोगों को राहत भले ही न मिली हो, लेकिन लोगों की परेशानी जरूर बढ़ गई. इस बारिश ने नगर निगम के दावों की पोल भी खोल दी. आगरा के कई शहरी क्षेत्र ऐसे हैं जहां बारिश के जलभराव के कारण घरों में पानी भर गया और सड़कें जलमग्न हो गई. हालात ये हो गए कि बच्चे पानी के बीच से स्कूल जाते दिखायी दिए. गांवों में जलभराव और कीचड़ ने लोगों को घरों में कैद होने पर मजबूर कर दिया है. ग्रामीणों को जलभराव और कीचड़ से डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियां फैलने का डर सता रहा है.
आंवलखेड़ा के मड़ी मद्दे गांव की हालत खराब
आगरा के आंवलखेड़ा इलाके के गड़ी मद्दे गांव की हालत भी काफी खराब हैं. यहां बारिश से गांव के तालाब का पानी गलियों और घरों में घुस गया. हालात ये हो गए कि पूरे गांव की सड़कें जलमग्न हो गयी हैं. बच्चे हो या बुजुर्ग हर कोई घर में कैद होकर रह गया. गांव के सरकारी स्कूल में जलभराव की वजह से बच्चे अपने आपको डरा सहमा महसूस कर रहे थे. कारण ये कि स्कूल की दीवार से सटे तालाब का पानी कक्षा की तरह से महज दो फुट ही नीचे रह गया है. प्राचार्य की मानें तो बारिश में क्लास के अंदर तक पानी आ जाता है, और कई कई दिन भरा रहता है.
लोगों का जीना हुआ मुहाल, अफसर खेल रहे कागजी खेल
एक तरफ शहर हो या देहात लोगों का निकलना और जीना मुहाल हो गया है, तो दूसरी तरफ सरकार के नियम और आदेश ताक पर रखकर जिम्मेदार अधिकारी कागजी घोड़े दौड़ाने में माहिर है. बता दें कि प्रदेश के मुख्य योगी आदित्यनाथ से मानसून आने से पहले अधिकारियों को दिशा-निर्देश देते हुए कहा था किसी भी गांव में जलभराव न होने पाए. लेकिन धरातल पर जलभराव की समस्या का निराकरण करने को जिले से लेकर तहसील और ब्लॉक से लेकर ग्राम पंचायत तक सभी जिम्मेदार अधिकारी कागजी फायर करते नजर आ रहे हैं. ऐसे में जनता का क्या होगा, ये सोचने की फुरसत किसी के पास नहीं है.