उत्तर प्रदेश

नए संसद भवन के उद्घाटन पर विपक्ष द्वारा उठाए गए विवाद दी तीखी प्रतिक्रिया : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

HARRY
25 May 2023 1:59 PM GMT
नए संसद भवन के उद्घाटन पर विपक्ष द्वारा उठाए गए विवाद दी तीखी प्रतिक्रिया : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
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कड़ा प्रहार करते हुए आइना दिखाया है।

लखनऊ | नई दिल्ली स्थित नए संसद भवन को लेकर विवाद को तूल देने में लगे विपक्ष पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़ा प्रहार करते हुए आइना दिखाया है।

उन्होंने कहा कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में 28 मई की तिथि एक गौरवशाली क्षण के रूप में दर्ज होने जा रही है। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में भारत के लोकतंत्र के प्रतीक नए संसद को देश को समर्पित किया जाएगा जोकि एक गौरवशाली क्षण होगा।

इस ऐतिहासिक अवसर पर कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों द्वारा जिस प्रकार की टिप्पणियां व बयानबाजी हो रही हैं वह अत्यंत दुखद, गैरजिम्मेदाराना और लोकतंत्र को कमजोर करने वाली हैं। सीएम योगी ने कहा कि भारत न केवल दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है।

बल्कि लोकतंत्र की जननी के तौर पर भी विश्व में जाना जाता है। दुनिया के अंदर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की इस छवि को एक नई पहचान दी है। मगर विपक्ष का ये बयान लोकतंत्र को कमजोर करने वाला है। विपक्ष के इस कुत्सित प्रयास को पूरा देश देख रहा है और विपक्ष की इस हरकत को कभी स्वीकार नहीं करेगा।

परंपरा और आधुनिकता का मेल है नई संसद

नई संसद भवन के औचित्य को लेकर उठ रहे सवालों का जवाब देते हुए सीएम योगी ने कहा कि नया संसद भवन आज की आवश्यकताओं के अनुरूप है। यह आगामी 100 वर्ष के विजन को लेकर बना है और इसमें परंपरा और आधुनिकता का समावेश है।

यह दूरदर्शी तरीके के साथ बनाई गई है और हर एक पार्लियामेंटेरियन को प्रॉपर स्पेस और हर प्रकार की सुविधा मिल सके, इस बात को ध्यान में रखा गया है। यही कारण है कि आमजन की आवाज को सुनने का एक महत्वपूर्ण मंच बनने जा रही यह संसद दुनिया में एक आदर्श स्थापित करने का अवसर दे रही है। मगर विपक्ष की इस प्रकार की बयानबाजी अत्यंत क्षोभकारी है।

इंदिरा से लेकर राजीव गांधी भी कर चुके हैं ऐसा

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब देश के प्रधानमंत्री इस प्रकार के किसी उद्घाटन कार्यक्रम के साक्षी बन रहे हों। इससे पहले पार्लियामेंट एनेक्सी का उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी द्वारा किया जा चुका है। वहीं, पार्लियामेंट लाइब्रेरी का शिलान्यास पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा किया गया था।

इसके अलावा और भी कई उदाहरण हैं। इतने उदाहरण होने के बावजूद विपक्ष द्वारा जिस प्रकार इस गरिमामयी कार्यक्रम का साक्षी बनने के ऐतिहासिक क्षण को धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है, उसे देश और देश की जनता-जनार्दन कतई स्वीकार नहीं करेगी। हम अपील करेंगे कि सभी लोगों को इस गौरवशाली क्षण का साक्षी बनना चाहिए और भारत के लोकतंत्र को मजबूत बनाने के आह्वान के साथ इस ऐतिहासिल पल में सम्मिलित होना चाहिए।


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