उत्तर प्रदेश

पराली जलाने से बढ़ रहे प्रदूषण पर CM योगी ने जताई चिंता, किसानों को जागरूक करने के दिए निर्देश

Shantanu Roy
16 Nov 2022 12:38 PM GMT
पराली जलाने से बढ़ रहे प्रदूषण पर CM योगी ने जताई चिंता, किसानों को जागरूक करने के दिए निर्देश
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बढ़ रहे प्रदूषण के कारण लोगों को गंभीर बीमारियां हो रही है। लखनऊ में वायु प्रदूषण एक खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। इस प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण किसानों द्वारा जलाई जा रही पराली है। इसी समस्या को देखते हुए योगी सरकार ने भी चिंता जताई है और प्रदूषण की रोकथाम के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ ने राज्य में पराली जलाने वाले किसानों को पराली न जलाने प्रति जागरूक करने के आदेश दिए है। यह निर्देश सीएम योगी ने कृषि विभाग के अधिकारियों को दिए है।
बता दें कि राज्य में पराली जलाने से प्रदूषण बढ़ रहा है। इस बढ़ते हुए प्रदूषण से लोगों को कई प्रकार की बीमारियां हो रही है। इस बढ़ते हुए प्रदूषण को रोकने के लिए योगी सरकार ने कदम उठाया है। दरअसल, मुख्यमंत्री योगी ने पराली जलाने की रोकथाम के लिए अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि पराली जलाने से होने वाले नुकसान के प्रति किसानों को जागरूक किया जाए। उन्होंने कहा है कि संवेदनशील गांवों में जिलास्तरीय अधिकारी कैंप करें। विभिन्न विभागों के कर्मचारियों को ग्रामवार समन्वय स्थापित करने के लिए ड्यूटी पर लगाया जाए।
'पराली दो, खाद लो' कार्यक्रम को दिया जा रहा है बढ़ावा
सीएम ने खेत में पानी लगाकर एवं यूरिया का छिड़काव कर पराली को गलाने जैसे उपायों का प्रचार प्रसार करने का भी निर्देश दिया। कृषि विभाग के अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी ने बताया कि हर जिले में पराली को गौशालाओं में पहुंचाया जा रहा है। वहीं, सभी जिलों में 'पराली दो, खाद लो' कार्यक्रम को अधिक से अधिक बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में 16 बायोब्रिकेट और बायोकोल प्लांट स्थापित किए गए हैं। इन प्लांट्स पर भी पराली पहुंचाई जा रही है। कंबाइन हार्वेस्टर में सुपर एसएमएस या फसल अवशेष प्रबंधन कृषि यंत्र को अनिवार्य किया गया है।
प्रदेश के इन जिलों में है पराली जलाने की घटनाएं जीरो
सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने पराली जलाने को दंडनीय अपराध घोषित किया है। यूपी सरकार ने कहा कि किसानों को पराली जलाने के बजाय उन योजनाओं का लाभ उठाना चाहिए, जिनके जरिए पराली का निस्तारण कर उसे उपयोगी बनाया जा सके। वहीं, बता दें कि राज्य में कुछ ऐसे भी जिले हैं, जहां पराली जलाने की घटनाएं जीरो के बराबर है। इनमें वाराणसी, सोनभद्र, संत रविदास नगर, महोबा, कासगंज, जालौन, हमीरपुर, गोंडा, चंदौली, बांदा, बदायूं, आजमगढ़, अमरोहा और आगरा शामिल हैं।
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