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उत्तरप्रदेश | निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत दाखिला पाने के लिए छात्र छह माह बाद भी भटक रहे हैं. इनमें कई बच्चे ऐसे भी हैं जिन्हें स्कूल में सीट तो आवंटित हुई, लेकिन दाखिला नहीं मिला. ऐसे में अब इन बच्चों को गली मोहल्ले के स्कूल का रुख करना पड़ रहा है.
शासन के आदेशानुसार आरटीई के तहत निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटे आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के दाखिले को आरक्षित की जाती है. बेसिक शिक्षा विभाग के अनुसार इस वर्ष जिले भर के करीब 250 निजी स्कूलों में आरटीई के तहत 17 हजार सीटें आरक्षित हुई. इन सीटों पर इस वर्ष चार चरणों में आवेदन प्रक्रिया हुई थी. चारों प्रक्रिया में 10,501 विद्यार्थियों ने दाखिले को आवेदन किया, जिनमें मात्र 52 प्रतिशत को ही सीटें आवंटित हुई.
हैरत की बात यह है कि जिन छात्रों को लॉटरी के माध्यम से सीटें आवंटित हुई है, उन्हें भी स्कूल दाखिला नहीं दे रहे हैं. निजी स्कूलों विद्यार्थियों के दस्तावेजों में कमी समेत तरह तरह के कारण बताकर उन्हें गुमराह कर रहे हैं. विभाग के पास अबतक स्कूलों में हो चुके दाखिलों का भी सही डाटा नहीं है.
स्कूलों में दाखिला पाने में उन्हें दिक्कत आ रही है जिनके आय प्रमाण पत्र में गड़बड़ी है. कई अभिभावक ऐसे भी है जिन्होंने नियमों के विपरीत आवेदन कर स्कूल में सीट पाई है.
- ऐश्वर्या लक्ष्मी, बेसिक शिक्षा अधिकारी
हर सप्ताह लगाते हैं स्कूल का चक्कर
निठारी निवासी प्रमोद अपने बच्चों को निजी स्कूल में पढ़ाना चाहते हैं, वह कई वर्षों से प्रयासरत थे, लेकिन सीटें आवंटित नहीं होती थी. इस बार भी उन्होंने बेटे के दाखिले को आवेदन किया. इस बार उन्हें स्कूल में सीट आवंटित हो गई, कागजों में गड़बड़ी बताकर उन्हें दाखिला नहीं दिया. वहीं, रघुनाथ पुर निवासी राजीव बताते हैं कि उनके बच्ची का भी पहली सूची में नाम आया था, लेकिन अब तक दाखिला नहीं मिला है.
गली-मोहल्ले के स्कूल में दाखिला कराना पड़ा
सूची में नाम आने के बाद दाखिला नहीं मिलने पर कई अभिभावकों ने अपने बच्चों का एडमिशन गली-मोहल्ले में चलने वाले निजी स्कूलों में कराया है, जबकि इन स्कूलों की मान्यता पर अक्सर सवाल उठते हैं. पिछले शैक्षिक सत्र में शिक्षा विभाग ने गली-मोहल्ले में चलने वाले 22 से अधिक स्कूलों पर ताला लगाया था. यहां सैकड़ों की संख्या में विद्यार्थी पहली से 8वीं तक की शिक्षा प्राप्त कर रहे थे इनकी पढ़ाई बीच में ही खत्म हो गई थी.
ग्रेटर नोएडा, कार्यालय संवाददाता. निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत दाखिला पाने के लि
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Harrison
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