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बसपा प्रत्याशी गदगद, बीजेपी के बाद अब उलेमा काउंसिल ने सपा को दिया जोर का झटका
समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव के गढ़ आजमगढ़ में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बाद अब राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल ने उनकी पार्टी को जोर का झटका दिया है. राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल ने यहां बसपा प्रत्याशी शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को अपना समर्थन दिया है. वहीं आरयूसी का समर्थन मिलने के बाद बसपा प्रत्याशी ने दावा किया कि यह उनकी जीत का सर्टिफिकेट है. आरयूसी का आजमगढ़ के सदर, मुबारकपुर और गोपालपुर विधानसभा सीट पर खासा प्रभाव है और यही कारण है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में आरयूसी के समर्थन से बसपा 4 सीट जीतने में कामयाब हुई थी. यह अलग बात है कि समाजवादी पार्टी इस समर्थन से बसपा प्रत्याशी को कोई फायदा नहीं होने का दावा कर रही है और अपनी जीत को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है.
आजमगढ़ जिले में लोकसभा उपचुनाव के लिए 23 जून को मतदान होना है, जिसे लेकर अब सभी राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. एक तरफ जहां 2 दिन पूर्व सपा के संस्थापक सदस्य व पूर्व विधायक राम दर्शन यादव ने भाजपा का दामन थाम लिया था तो वहीं दूसरी तरफ सोमवार को राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल ने बसपा प्रत्याशी गुड्डू जमाली को समर्थन का ऐलान कर दिया.
उलेमा काउंसिल के इस ऐलान के बाद सपा के एमवाई फैक्टर पर प्रभाव पड़ना तय माना जा रहा है. इसका कारण है कि आजमगढ़ की मुबारकपुर विधानसभा सीट पर राम दर्शन यादव का खासा प्रभाव है, वहीं सदर मुबारकपुर और गोपालपुर सीट पर उलेमा काउंसिल खासा प्रभाव रखती है. अपनी इस पकड़ का प्रमाण राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल ने 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा को समर्थन देकर साबित भी कर दिया है.
वहीं राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल का समर्थन मिलने के बाद बसपा प्रत्याशी शाह आलम ने कहा, 'यकीनन बहुत क्लियर शब्दों में कह रहा हूं कि यह जीत का सर्टिफिकेट है. विपक्ष के लोग पहले ही दिन से कन्फ्यूजन पैदा कर रहे थे. हमारे मुस्लिम भाइयों में जाते हैं तो कहते हैं दलित वोट नहीं दे रहा है तो उनको वोट देकर आप अपना वोट खराब क्यों कर रहे हैं. इनको लगता है कि यह इन लोगों की जागीर है जबकि हकीकत यह है कि यह चुनाव मै नहीं आजमगढ़ का सर्व समाज अपने सम्मान के लिए लड़ रहा है.'