उत्तर प्रदेश

बदहाल है बांदा-कपसा-हमीरपुर मार्ग, नहीं बचा सड़क का नामोनिशान

Admin4
6 Nov 2022 6:19 PM GMT
बदहाल है बांदा-कपसा-हमीरपुर मार्ग, नहीं बचा सड़क का नामोनिशान
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बांदा। सूबे की सरकार भले ही सड़कों को गड्ढ़ा मुक्त करने का दम भर रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत सरकारी दावे आपस में मेल नहीं खा रहे। जनपद की प्रमुख सड़क बांदा-चिल्ला-कानपुर मार्ग से लेकर हमीरपुर की दूरी को कम करने वाली महत्वपूर्ण गोयरा मुगली-कपसा-हमीरपुर की सड़क अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही है।
मुख्यालय से तकरीबन दस किलोमीटर दूर स्थित नवीन मंडी समिति के पास से गोयरा-कपसा होते हुए पड़ोसी जनपद हमीरपुर के लिए रोड जाती है, जिस पर दोनों जिलों के छोटे-बड़े वाहनों का आवागमन होता है। यह सड़क करीब पांच वर्ष पूर्व ही प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत बनाई गई थी, लेकिन बनने के तुरंत बाद ही सड़क की गिटि्टयां उखड़ने लगीं। देखते ही देखते सड़क गड्ढ़ों में तब्दील हो गई। आलम यह है कि बांदा जनपद की सीमा में पड़ने वाले गोयरा तिराहे से मरौली मोड़ तक करीब 14 किलोमीटर दूरी पर अवशेष रूप में सड़क का नामोनिशान तक नहीं बचा।
इस सड़क के निर्माण को लेकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के खंड सह कार्यवाह लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने मुद्दा उठाया और शासन स्तर पर खूब पत्राचार भी किया। उन्होंने कहा है कि गोयरा मुगली, अछरौड़, मरौली समेत हमीरपुर और बांदा जिले के दर्जनों गांवों के आवागमन के लिए यह महत्वपूर्ण रास्ता है, लेकिन अफसरों व मंत्रियों ने पत्राचार के जवाब में कागजी कार्रवाई करके अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली और नतीजा सिफर ही रहा।
त्रिपाठी के पत्राचार के जवाब में जहां प्रभारी मंत्री और एमएसएमई मंत्री राकेश सचान से लेकर जलशक्ति राज्य मंत्री रामकेश निषाद तक ने लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद को पत्राचार किया है। तत्कालीन जिलाधिकारी अनुराग पटेल ने भी जिले के उद्यमियों की विशेष मांग पर प्रमुख सचिव पीडब्ल्यूडी को पत्र लिखकर यहां के लोगों की समस्या से रूबरू कराया, लेकिन सार्थक परिणाम अभी तक नहीं निकल सका।

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